हफ़ीज़ सैफ़ बिहार का लडका था जो डी.यू. मे पढ रहा था Bihar University Education

हफ़ीज़ सैफ़ बिहार का लडका था जो डी.यू. मे पढ रहा था! 

Desi Story
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साला हरामी था और चँचल भी... मुझे कानपुर के पास, एक मोटर साइकल रिपेअर शॉप पर खडा मिला! उसकी कम्फ़र्ट फ़िट जीन्स उसकी जवानी को चूम चूम के छिपा रही थी! उसकी गदरायी जवानी उसकी जीन्स मे समा नहीं पा रही थी! गुलाब से उसके होंठ हल्के खुले थे, ऊपर उसने स्टाइलिश बुशर्ट बाहर निकाल के पहनी हुयी थी! 

उसकी हाफ़ स्लीव्ज के अंदर से उसकी मस्क्युलर बाज़ू चिकने लग रहे थे! लडका गोरा, पतला दुबला मगर गठीला और बेहद मादक था! जब मैकेनिक से बात करता तो मैं उस हिलते होंठ देखता रहता! उसकी गीली ज़बान उसके दाँतों के पीछे थिरकती हुयी दिखती और उसका चेहरा बडा सुंदर लगता! उसने सेंटर पार्टिंग के बाल रखे हुए थे! उसकी आँखें भूरी थीं! मिला जुला कर, लडका ऐसा था कि मेरी नज़रों से होता हुआ मेरे अंदर ऐसा बसा कि मेरी चड्‍डी मे उसको देखकर ही तूफ़ान आने लगा!

उसने मुझे भी देखते हुए देखा! कभी मैं अपनी नज़र बचा लेता, कभी वो अपनी नज़र हता लेता! मगर हम दोनो एक दूसरे की तरफ़ आकर्षित ज़रुर होने लगे थे! कुछ देर मे उसके दो दोस्त आ गये!

"अबे भोसडी के, अभी तक सही नहीं हुयी तेरी?"

"ना यार, टेकिंग सम टाइम यार..."

"अबे, तू बडा चूतिया है साले... तेरी बाइक मे हमेशा कुछ प्रॉब्लम हो जाती है..."

"अबे, अब मेरी भी तो गाँड मर जाती है... कोई जानबूझ कर खराब थोडी करता हूँ..."

उसकी उमर कोई २०-२१ की रही होगी!

"कल ले जाना... इसमे टाइम लगेगा..." जब वो अपने दोस्तों से बातों मे लगा हुआ था, तब मैकेनिक बोला!

मैने सुना, उसको अगले दिन उसी टाइम बुलाया गया था! दोस्तों के आने के बाद, वो अब उनसे नज़रें चुरा के, एक आध झलक मेरी तरफ़ डाल दे रहा था! मगर मैं उसकी जीन्स की हर सिलाई देख रहा था, उसके बदन की हर मसल अपनी नज़रों से नाप रहा था! वो मेरा जान-ए-मन बन चुका था! उसको देख के लग रहा था कि साला शायद स्ट्रेट था! मगर मुठ तो ज़रुर मारता होगा, चुदायी की बातें करता होगा, मैं उसके दोस्तों से जलने लगा!

आखिर वो वहाँ से चला गया... और मेरा दिल टूट गया! उसका नाम हफ़ीज़ था और वो डी.यू. का स्टूडेंट था! वो अपने फ़्रैंड्स के साथ मुखर्जी नगर मे रहता था और बी.ए. सैकँड ईयर का स्टूडेंट था! जो बात मुझे पता नहीं थी, वो ये थी की साला अव्वल दर्जे का हरामी और चुदक्‍कद था! बस अपने दोस्तों के सामने शरीफ़ या उन जैसा बना रहता था! मगर बिहार मे उसके काफ़ी आशिक़ रह चुके थे, वो स्कूल से ही लडकों के साथ चालू हो चुका था! अब तो उसको काफ़ी चस्का था, मगर देहली मे उसको कोई मिल नहीं पा रहा था इसलिये उसका काम सिर्फ़ मुठ मारने से ही चल रहा था! आजकल उसकी हालत खराब थी! उसका लँड और गाँड खुराक ढूँढ रहे थे! वो गाँड भी मरवाता था! पूरा गे था, जो अपने स्ट्रेट लुक्स का और स्ट्रेट बातों का भरपूर फ़ायदा उठा रहा था! मुठ मारने मे उसके लँड से उसका वीर्य बुलेट की तरह निकलता था और कुछ वापस उसके हाथ पर आ जाता था! उसको लडको की गाँड की याद आती थी!

दूसरे दिन मैं उसको फ़िर मैकेनिक की दुकान पर मिला! उसके साथ वही दोनो लडके थे, मुझे देखते ही उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी! मेरा गला सूख गया और मैने थूक निगला! उसकी जीन्स कल वाली ही थी! शर्ट दूसरी थी, मगर वैसे ही बाहर निकली हुयी! उसकी जीन्स की सिलाई उसकी पॉकेट्स के बीच होती हुयी उसकी गाँड के बीच घुस रही थी! उस दिन वो ज़्यादा अग्रेसिव था और दोस्तों के साथ हिरोइन्स वगैरह की बातें कर रहा था! मेरी बाइक जल्दी रिपेअर हो गयी, मगर मैं फ़िर भी उसको देखता रहा और थोडी आगे जाकर, बाइक पार्क करके बैठ गया! कुछ देर मे वो तीनों आये!

"यार तुम चलो, मैं बाद मे बाइक लेकर आता हूँ..."

"अबे गाँडू, बारिश होने वाली है...  माँ चुद जायेगी..."

"कुछ नहीं होगा यार... तुम लोग जाओ..."

"क्या बात है? भगा क्यों रहा है?"

"यार, लेट हो जायेगा... समझा करो... जाओ..." उसने ऐसा कहते हुए मेरी तरफ़ देखा! उसके फ़्रैंड्स आखिर चले गये!

वो वापस मैकेनिक के पास गया और फ़िर मेरी तरफ़ आया और मेरी बाइक से थोडी दूर रैलिंग पर बैठ गया! मेरा लँड अब उसको देख के खडा हो चुका था! उधर आँधी जैसी तेज़ हवा चलने लगी थी!

"हाय, आइ एम अम्बर..." मैने उसके बगल मे बैठते हुए कहा!,

"तुम्हारी बाइक आज भी ठीक नहीं हुई ना... ये मैकेनिक साले चूतिया बनाते हैं यार..." मैने कहा!

"हाँ साला कल से गाँड मरवा रहा है... अभी तक नहीं बनाई..."

मैने वहाँ बैठे बैठे उससे दोस्ती कर ली, कुछ ही देर मे! क्योंकि शायद हम दोनो को एक दूसरे की ज़रूरत थी! हम दोनो की दोस्ती और पक्‍की हो गयी और मैने अपना हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया! जब कोई नज़दीक से गुज़रता मैं हाथ हटा लेता और उसके जाने के बाद, फ़िर रख के सहलाने लगता! इसमे उसने कोई आपत्ति नहीं दिखायी तो मेरी हिम्मत बढने लगी और साथ मे उम्मीद भी!

उसकी जाँघ गदराई हुयी और गरम थी! उसमे से अब उसके जिस्म की निराली सी खुश्बू आने लगी थी और हमारे गले सूखने लगे थे!

"चलो मैं छोड देता हूँ... बाइक बाद मे ले लेना... बस रास्ते मे थोडा काम है..."

"चलो छोड दो, वरना साला पता नहीं कब बाइक देगा..."  वो मेरे पीछे बैठ गया और मैं एक्साइटमेंट मे नर्वस हो गया! उसकी जाघें मेरी कमर पर टच कर रही थीं! जब मैं ब्रेक लगाता तो वो अपने हाथ मेरे कँधे पर रख देता!

"ठीक से बैठ जाओ ना" मैने कहा!

"हाँ, ठीक से ही हूँ" उसने कहा! कुछ देर मे वो मेरे और नज़दीक आ गया और मैने जानबूझ के गाडी एक सूनसान अंधेरे से रास्ते पर ले ली!

"यहाँ से कहाँ जाओगे?" उसने पूछा!

"बोला था ना, कुछ काम है... थोडी दारू लेनी है..." मैने जवाब दिया!

"वाह... दारू का प्रोग्राम है..." उसने अपने हाथ मेरी जाँघों पर रख लिये और शायद थोडा और आगे सरक के बैठ गया!

"हाँ यार, अकेले रहता हूँ... दारू का ही सहारा है..."

"बात सही नहीं है... यार अकेले अकेले?" तभी दारू का ठेका आ गया!

"आओ, साथ मे आ जाओ..." मैने उसको बुलाया और दारू की दुकान की तरफ़ जाते हुए मैने उसके कँधे पर हाथ रख कर उसकी पीठ हल्के हल्के सहलाना शुरु कर दी! उसको भी अच्छा लगा!

"क्यों, तुम्हे पीना है क्या? कुछ ले लूँ?"

"अरे, मैं कहाँ पियूँगा?" उसने कहा!

"चलो, मेरे साथ पीना... फ़िर छोड दूँगा..."

"अच्छा तो वोडका ले लो..." मैने वोडका की बॉटल ले ली और उसी के कहने पर साथ मे बीअर के ४ कैन्स भी!

जब हम वहाँ से चले तो वो अच्छी तरह से चिपक के बैठ गया और उसके हाथ मेरी जाँघ पर आ गये! मैने अपनी राइट जाँघ पर थिरकते उसके हाथ पर अपना हाथ रख के उसको पकड लिया!

"क्या हुआ?" उसने पूछा!

"कुछ नहीं, मस्त है..." मैने जवाब दिया और मैं उसका गरम थिरकता हाथ सहलाता रहा और वो मेरी जाँघें... अब मुझे उसकी कमर अपनी गाँड पर रगडती महसूस हुयी!

"सही से चिपक के बैठ जाओ ना... अंधेरा बहुत है यार..." मैने कहा तो वो चिपक के बैठ गया और उसकी साँसें मेरी गरदन के साइड पर टकराने लगी... मेरा सर घूमने लगा! हमने हैल्‍मेट्स उतार दी! तभी तेज़ आँधी आ गयी तो हमें बाइक साइड मे लगानी पडी! वैसे भी अंधेरा था... माहौल काफ़ी डरावना था मगर उस समय तो हमे किसी सुहागरात की सेज से कम नहीं लग रहा था!

"आ, बाइक पर बैठते हैं..." मैने उसका हाथ पकड लिया!

"अरे, कहीं साइड मे हो जाते हैं..." उसने कहा!

हम वहीं एक मैदान की टूटी दीवार के साइड में खडे थे! धूल आती तो आँख बन्द कर लेते! मैने उसका हाथ पकडा और सहलाने लगा!

"बीर खोल..."

"लो" मैने बीर का कैन खोल के उसको दिया तो वो गटागाट पीने लगा!

"लाओ, इसी मे वोडका मिला दो..." हमने बीर और वोडका की कॉकटेल बना के तीन चार बार गटक ली और ५ मिनिट मे हमारे सर हल्के होने लगे और नशा चढने लगा!

"यहाँ से कितनी दूर है तुम्हारा घर?"

"बस थोडी दूर..."

"तो चलो" हम आँधी मे ही वहाँ के लिये चल पडे! इस बार मुझे बाइक चलाते हुए उसका हाथ अपनी कमर और जाँघ पर महसूस हुआ! इस बार वो बिना शरमाये सहला रहा था! जब वो मेरी फ़ाँकों को जीन्स की ऊपर से ही सहलाने लगा! मैने अपनी गाँड हल्की सी उठा दी और उसके हाथ नीचे होकर मेरी गाँड की फ़ाँकें दबोचने लगे!

"आह यार... क्या करता है?"

"वही जो ऐसे माहौल मे होना चाहिये..." उसने कहा और इस बार अपना मुह मेरी गरदन के साइड मे घुसा के चूमना शुरु कर दिया!

"बाइक नहीं चला पाऊँगा..."

"अरे, मैं इनर्जी दे रहा हूँ ना... चला लो सही से..."

मुझसे रहा नहीं गया और मैने गाडी रोक दी!

"क्या हुआ?" उसने पूछा तो मैं उतरा और बाइक को स्टैंड पर लगा दिया और चुपचाप उसका हाथ पकड के उसको भी उतार लिया!

अब तेज़ बारिश होने लगी थी और हम भीग गये थे! उसकी शर्ट उसके बदन से और मेरी टी-शर्ट मेरे बदन से चिपक गई थी! उसके हाथ थर्रा रहे थे! मैने खींच के उसको साइड पर खडा किया! मेन रोड थोडी दूर थी! और मैने उसकी कमर मे हाथ डाल के उसको लिपटा लिया, हमारे गाल एक दूसरे के गालों को सहलाने लगे, हमारी साँसें मिल के घुलने लगीं!

"यहाँ सही नहीं रहेगा यार... कभी भी कोई भी आ सकता है..." उसने कहा!

"बस अभी चलते हैं... थोडा सा मज़ा कर लेते हैं यहीं पर..." मैने कहा और अपना लँड उसके लँड पर भिडाया! फ़िर उसकी कमर दबोचते हुए उसकी गाँड सहलाना शुरु कर दिया! उसने भी मेरी गाँड सहलाना शुरु कर दिया!

"उऊह लवली... डार्लिंग, मुझे तेरे जैसे डार्लिंग लडके पसंद हैं..."

"अच्छा साले, मैं तेरे से बडा हूँ..."

"हाँ, आइ लाइक ओल्डर मेन... ज़्यादा मज़ा देना जानते हैं... क्यों?" उसने पूछा! मगर मैने जवाब देने के बजाय मैने अपनी ज़बान उसके होंठों पर फ़ेरना शुरु कर दी! वो मतवाला होने लगा! शराब चढ चुकी थी... साथ मे आउटडोर का माहौल... बारिश का मौसम... सब कुछ फ़िट था! हम एक दूसरे को नोचने लगे!

"ला, अब लँड चूसा..." मैने उसकी ज़िप के ऊपर से ही उसके खडे लँड को दबोचना शुरु कर दिया! समाँ रँगीन हो चुका था!

"नहीं, यहाँ नहीं..."

"प्लीज डार्लिंग... एक बार..."

"समझो जानू... यहाँ नहीं... चलो घर... रात भर चुसाऊँगा..."

जब वो ना माना तो हम किसी तरह मेरे घर पहुँचे और पहुँचते ही एक दूसरे से लिपट के एक दूसरे को नँगा करने लगे! रोशनी मे धीरे धीरे नँगा होता उसका जिस्म जैसे आग लग रहा था! उसके बदन पर हल्के हल्के रेशमी बाल थे जो गीले होने के कारण उसके जिस्म से चिपक कर इनविज़िबल हो गये थे! उसका गोरा गदराया बदन चमक रहा था! उसकी स्किन और उसका जिस्म, चढती जवानी के कारण टाइट थे और उसका गोरा लँड गज़ब का लम्बा था! ज़्यादा मोटा नहीं लेकिन लम्बा बहुत था! उसके नीचे उसके साँवले से आँडुए लटक रहे थे! उसकी लम्बी भूरी झाँटें मस्त थीं! जब उसको पीछे मोडा तो देखा, उसकी गाँड टाइट और चिकनी थी! उसकी कमर मस्त पतली और वहाँ से शुरु होती उसकी गदरायी फ़ाँकें और उनके बीच किसी वैली की तरह उसकी दरार... जिसमें हल्के रोंये थे! उसके नीचे जाकर उसकी जाँघों के बीच उसके छेद के इर्द गिर्द रेश्मी बालों का हल्का सा गुच्छा था! मैने उसका बदन सहलाया और उसने मेरा... फ़िर हम एक दूसरे के साथ बिस्तर पर लेट गये! हम बेतहाशा एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे! मैने नीचे होकर उसका सुपाडा अपनी ज़बान से सहलाया और अपने होंठों के बीच पकड के अपने ज़बान से चाटा!

"सी........ उऊह्‍ह्‍ह... हाँ यार... हाँ..." उसने सिसकारी भरी!

"साला, बडे दिन से बेचैन था..."

मैने उसका सुपाडा मुह मे लिया और उसके बेस को चातने लगा! मैं उसके साथ अपनी ज़बान से खेल रहा था! देखते देखते मेरा हाथ और उँगलियाँ उसकी गाँड पर और उसका लँड मेरे मुह मे था! मैं उसका धधकता हुआ लँड चूसने लगा! मगर मैने जब उसकी गाँड के बालों को हटा कर उसके सुराख पर उँगली रखी तो वो मस्त सी सिसकारी भर गया! उसने वहाँ कुछ करने को मना नहीं किया! मैने उसका छेद चीरा और अपनी उँगली की टिप उसके छेद मे फ़ँसा दी! वो गरम थी! मैने उसका लँड छोड कर उसके आँडुए चाटते हुए अपनी नाक उसके छेद के पास घुसा दी! वहाँ पसीने और जवानी की खुश्बू थी, जिसने मुझे पागल कर दिया! मैने दोनो हाथों से उसका छेद चीरा और अपनी नाक उसके छेद मे घुसा दी! फ़िर मैने उसका छेद चाटा और देखते देखते उसका छेद अपनी ज़बान से जैसे चोदने सा लगा! वो गाँड उठा उठा के मस्त हो रहा था! फ़िर हम ६९ पोजिशन मे लेट गये और वो मेरा लँड चूसने लगा और मैं उसका!

"बोलो, पहले तुम करोगे या पहले मैं डाल दूँ अंदर?" उसने पूछा तो मैं जवाब मे पलट गया और वो मेरे ऊपर आकर मेरे छेद पर अपना सुपाडा रगडने लगा! उसके जवान गर्म लँड के स्पर्श से मेरा छेद कुलबुला के खुलने लगा! उसने एक बार मेरी गाँड पर डायरेक्ट अपने मुह से थूक टपकाया और देखते देखते उसका सुपाडा और फ़िर पूरा लँड मेरे छेद को चौडा करते हुए अंदर बाहर होने लगा! मैं गाँड उठा उठा के उसको मस्त करने लगा! वो धक्‍के दे देकर मेरी चोदने लगा! फ़िर उसकी बारी आयी तो वो लेट गया और मैने उसकी गाँड की फ़ाँकें फ़ैला दीं औ उसके छेद पर डायरेक्ट अपनी ज़बान से चाट कर थूक लगाया! जब मैने अपना सुपाडा टिका के धक्‍का दिया तो उसने पलट के मुझे लिपटा लिया!

"हल्के से... हल्के से..." उसने कहने की कोशिश की और जैसे ही मेरा सुपाडा अंदर घुसा वो करहाया!

"आह उऊह्‍ह... हल्के... प्लीज डार्लिंग हल्के..." मैने फ़िर धक्‍का दिया और मेरा सुपाडा उसकी गाँड मे घुस गया!

"अड्जस्ट कर लो ना गाँड को... लँड पर अड्जस्ट कर लो डार्लिंग..." मैने उसके कान मे कहा और घुसाना बन्द कर दिया! उसकी गाँड कुछ कुलबुलायी और उसके छेद की पकड मेरे लँड पर ढीली पडने लगी तो मैं समझ गया कि उसने छेद ढीला कर लिया है!

"हाँ..." कहके मैने और दबाया और फ़िर मेरा लँड इँच दर इँच उसकी गाँड मे समा गया! मैने उसकी गाँड हवा मे उठवा दी! उसका मुह नीचे तकिये पर था और घुटने मोडे उसकी गाँड ऊपर घोडे की तरह उठी हुयी थी! उसमें मेरा लँड पूरा समाया हुआ था! मेरे आँडुए, उसकी पिछे की साइड से उसकी इनर थाइज के बीच टकरा रहे थे! जब मैं अंदर बाहर देना शुरु किया तो उसकी साँसें रुकने लगीं! उसकी गाँड खुलने लगी... दोनो को बहुत मज़ा आया! फ़िर मैने उसकी गाँड मे अपना माल भर दिया! उस दिन, हम एक दूसरे की बाहों मे लिपट के ही सो गये!

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