उमा और डॉक्टर साहब UMA Aur Doctor Saab

 उमा  और डॉक्टर साहब. 


UMA


इस दुनिया में बहुत से संयोग होते हैं, जब किस्मत में लिखा हो दो लोगों का मिलन तो बहाने अपनेआप बन जाते हैं. इन्हीं को हम आम बोलचाल की भाषा में संयोग कहते हैं. 

मेरी ये कहानी मेरी एक सहेली उमा की है. मैंने पूरी कोशिश की है कि मैं इस कहानी को पाठकों तक सम्पूर्ण चित्रण के साथ साझा करू.  इस कहानी को मैंने डॉक्टर सहाब को समर्पित किया है. 


हसीन उमा  को डॉक्टर दिल दे बैठे लेकिन बदकिस्मती से उन्हें दूर दिया पर हालात ऐसे बदले कि साहब को उमा  को इतना करीब लाया कि दोनों दो जिस्म एक जान हो गए..


एमबीबीएस की डिग्री मिलते ही मेरी पोस्टिंग महाराष्ट्र  के एक गाँव में हो गई। गाँव वासियों ने अपने जीवन में गाँव में पहली बार कोई डॉक्टर देखा था। इसके पहले गाँव नीम हकीमों, ओझाओं और झाड़ फूँक करने वालों के हवाले था।


जल्द ही गाँव के लोग एक भगवान की तरह मेरी पूजा करने लग गए, रोज़ ही काफ़ी मरीज़ आते थे और मैं जल्दी ही गाँव की ज़िंदगी में बड़ा महत्वपूर्ण समझा जाने लगा। गाँव वाले अब सलाह के लिए भी मेरे पास आने लगे। मैं भी किसी भी वक़्त मना नहीं करता था अपने मरीज़ों को आने के लिए!


गाँव के बाहर मेरा बंगला था। इसी बंगले में मेरी डिस्पेन्सरी भी थी। गाँव में मेरे साल भर गुज़ारने के बाद की बात होगी यह। इस गाँव में लड़कियाँ और औरतें बड़ी सुन्दर सुन्दर थीं। ऐसी ही एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की थी गाँव के मास्टर जी की।

नाम भी उसका था उमा । सच कहूँ तो मेरा भी दिल उस पर आ गया था पर होनी को कुछ और मंज़ूर था। गाँव के ठाकुर के बेटे का भी दिल उस पर आया और उनकी शादी हो गई। पर जोड़ी बड़ी बेमेल थी। कहाँ उमा  और कहाँ राजन!


दिनेश बड़ा सूखा सा मारियल सा लड़का था। मुझे तो उसके मर्द होने पर भी शक़ था। और यह बात सच निकली क़रीब क़रीब!


उनकी शादी के साल भर बाद एक दिन ठकुराइन मेरे घर पर आई, उसने मुझे कहा कि उसे बड़ी चिंता हो रही है कि बहू को कुछ बच्चा वगैरह नहीं हो रहा।


उसने मुझसे पूछा कि क्या गड़बड़ हो सकता है, बेटा-बहू उसे कुछ बताते नहीं हैं और उसे शक है कि बहू कहीं बाँझ तो नहीं?


मैंने उसे ढांढस दिया और कहा कि वो बेटा-बहू को मेरे पास भेज दें तो मैं देख लूंगा कि क्या गड़बड़ है।

उसने मुझसे आग्रह किया मैं यह बात गुप्त रखूँ, घर की इज़्ज़त का मामला है।


फिर एक रात क़रीब शाम को वे दोनों आए. दिनेश और उसकी बहू। देखते ही लगता था कि बेचारी उमा  के साथ बड़ा अनयाय हुआ है कहाँ वो लंबी, लचीली एकदम उमा  लड़की, भरे पूरे बदन की बला की ख़ूबसूरत लड़की और कहाँ वो दिनेश, काला कलूटा मारियल सा।

मुझे दिनेश की किस्मत पर बड़ा रंज हुआ।


वे धीरे धीरे अक्सर इलाज करवाने मेरे क्लिनिक पर आने लगे और साथ साथ मुझसे खुलते गये.


दिनेश बड़ा नर्म दिल इंसान था। अपनी बला की ख़ूबसूरत बीवी को ज़रा सा भी दु:ख देना उसे मंज़ूर ना था।


उसने दबी ज़ुबान से स्वीकार किया एक दिन कि अभी तक वो अपनी बीवी को चोद नहीं पाया है, मैं समझ गया कि क्यों बच्चा नहीं हो रहा है. जब उमा  अभी तक कुंवारी ही है तो!


सहसा मेरे मन मैं एक ख्याल आया और मुझे मेरी दबी हुई हसरत पूरी करने का एक हसीन मौक़ा दिखा; उमा  का कौमार्य लूटने का। दरअसल जब जब दिनेश उमा  के सुन्दर नंगे जिस्म को देखता था अपने ऊपर काबू नहीं रख पाता था और इससे पहले की उमा  सेक्स के लिए तैयार हो दिनेश ऊपर टूट पड़ता था।


नतीजा यह कि लण्ड घुसाने की कोशिश करता था तो उमा  दर्द से चिल्लाने लगती थी और उमा  को यह सब बड़ा तकलीफ़ वाला मालूम होता था। उसे चिल्लाते देख बेचारा दिनेश सब्र कर लेता था फिर। दूसरे दिनेश इतना कुरूप सा था कि उसे देख कर उमा  बुझ सी जाती थी।


सारी समस्या जानने के बाद मैंने अपना जाल बिछाया। मैंने एक दिन ठकुराईन और दिनेश को बुलाया, उन्हें बताया कि ख़राबी उनके बेटे में नहीं बल्कि बहू में है और उसका इलाज करना होगा। छोटा सा ऑपरेशन बस… बहू ठीक हो जाएगी।



ठकुराईन तो खुश हो गई पर बेटे ने बाद में पूछा- डॉक्टर साहब। आख़िर क्या ऑपरेशन करना होगा?


“हाँ दिनेश, बताना ज़रूरी है, नहीं तो बाद मैं तुम कुछ और समझोगे।”


“हाँ! हाँ! बोलिये डॉक्टर साहब?”


“देखो दिनेश, तुम्हारी बीवी का गुप्ताँग थोड़ा सा खोलना होगा ऑपरेशन करके! तभी तुम उससे संभोग कर पाओगे और वो माँ बन सकेगी।”


“क्या? पर क्या यह ऑपरेशन आप करेंगे। मतलब मेरी बीवी को आपके सामने नंगी लेटना पड़ेगा?”


“हाँ यह मजबूरी तो है, पर तुम तभी उसकी जवानी का मज़ा लूट पाओगे, वरना सोच लो यूँ ही तुम्हारी उमर निकल जाएगी और वो कुँवारी ही रहेगी।”


अब वो नर्म पड़ गया- प्लीज! डॉक्टर साहब, कुछ भी कीजिए, चाहे ऑपरेशन कीजिए, चाहे जो जी आए कीजिए, पर कुछ ऐसा कीजिए कि मैं उसके साथ वो सब कर सकूँ और हमारा आँगन बच्चे की किलकारी से गूँज उठे। वरना मैं तो गाँव में मुँह नहीं दिखा सकूंगा किसी को! खानदान की इज़्ज़त का मामला है डॉक्टर साहब।


उसने हाथ जोड़ लिए.

“ठीक है! घबराओ नहीं, बहू को मेरे क्लिनिक में भरती कर दो। दो चार दिन में जब वो ठीक हो जाएगी तो घर आ जाएगी। तो बस फिर बहू के साथ मौज करना।”


“ठीक है डॉक्टर साहब, वो ठीक हो जाएगी तो मैं आपका बड़ा उपकार मानूंगा।”


और इस तरह उमा  मेरे घर पर आ गई, कुछ दिनों के लिए शिकार जाल में था, बस अब करने की बारी थी।


उमा  अच्छी मिलनसार थी, खुल सी गई थी मुझसे। पर जब वो सामने होती थी अपने ऊपर काबू रखना मुश्किल हो जाता था। बला की कमसिन थी वो, जवानी जैसे फूट फूट कर भरी थी उसके बदन में ज़ब्त किए था। मैं मौक़ा देख रहा था, महीनों से कोई लड़की मेरे साथ नहीं सोई थी।


लण्ड था कि नारी बदन देखते ही खड़ा हो जाता था। दूसरी गड़बड़ यह थी मेरे साथ कि मेरा लण्ड बहुत बड़ा है जब वो पूरी तरह खड़ा होता है तो क़रीब 8″ लंबा होता है और उसका सुपारा ऐसे कड़ा हो जाता है जैसे कि एक लाल बड़ा सा टमाटर हो। और पीछे लंबा सा, पत्थर की तरह कड़ा एकदम सीधा लंबा सा खीरे जैसा मोटा सा लण्ड!


उमा  को मेरे घर आए एक दिन बीत चुका था। पिछली रात तो मैंने किसी तरह गुज़ार दी पर दूसरे दिन बदहवास सा हो गया और मुझे लगा कि अब मुझे उमा  चाहिए वरना कहीं मैं कुछ कर ना बैठूं।

ऐसी सुन्दर कामनीय काया मेरे ही घर में और मैं प्यासा!


क्लिनिक बंद करके रात्रि भोजन के बाद मैंने उमा  से कहा कि मुझे उससे कुछ ख़ास बातें करनी हैं उसके केस के बारे में! कि वो अंदर मेरे रूम में आ जाए।


गाँव की एक वधू की तरह वो मेरे सामने बैठी थी। एक भरपूर नज़र मैंने उस पर डाली, उसने नज़रें झुका ली। अब मैंने बेरोक टोक उसके जिस्म को अपनी नज़रों से टटोला। उफ़्फ़्फ़!! कपड़ों में लिपटी हुई भी वो कितनी कामवासना जगाने वाली थी।


“देखो उमा  मैं जानता हूँ कि जो बातें मैं तुमसे करने जा रहा हूँ, वो मुझे तुम्हारे पति की अनुपस्थिति में शायद नहीं करनी चाहिए, पर तुम्हारे केस को समझने के लिए और इलाज के लिए मेरा जानना ज़रूरी है, और अकेले में मुझे लगता है कि तुम सच सच बताओगी। मैं जो पूछूँ, उसका ठीक ठीक जवाब देना।”

“तुम्हारे पति ने मुझे सब बताया है और उसने यह भी बताया है कि क्यों तुम दोनों का बच्चा नहीं हो रहा है।”


“क्या बताया उन्होंने डॉक्टर साहब?”


“दिनेश कहता है कि तुम माँ बनने के काबिल ही नहीं हो।”


“वो तो डॉक्टर साहब, वो मुझसे भी कहते हैं और जब मैं नहीं मानती तो उन्होंने मुझे मारा भी है एक दो बार।”


“तो तुम्हें क्या लगता है कि तुम माँ बन सकती हो?”


“हाँ! डॉक्टर साहब, मेरे में कोई कमी नहीं है। मैं माँ बन सकती हूँ।”


“तो क्या दिनेश में कुछ ख़राबी है।”


“हाँ! डॉक्टर साहब, क्या? साहब वो … वो … उनसे होता नहीं।”


“क्या नहीं होता दिनेश से?”


“वो साहब … वो …”


“हाँ हाँ, बोलो उमा , देखो मुझसे कुछ छुपाओ मत! मैं डॉक्टर हूँ और डॉक्टर से कुछ छुपाना नहीं चाहिए।”


“डॉक्टर साहब, मुझे शरम आती है कहते हुए! आप पराये मर्द हैं ना।”


मैं उठा, कमरे का दरवाज़ा बंद करके खिड़की में भी चिटकनी लगा के मैंने कहा- लो अब मेरे अलावा कोई सुन भी नहीं सकता … और मुझसे तो शरमाओ मत, हो सकता है तुम्हारा इलाज करने के लिए मुझे तुम्हें नंगी भी करना पड़े। तुम्हारी सास और पति से भी मैंने कह दिया है और उन्होंने कहा है कि मैं कुछ भी करूँ पर उनके खानदान को बच्चा दे दूं इसलिए मुझसे मत शरमाओ।” “डॉक्टर साहब, वो मेरे साथ कुछ कर नहीं पाते।”


“क्या?” मैं अनजान बनते हुए कहा। मुझे उमा  से बात करने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं उस गाँव की युवती को कुछ भी करने से पहले पूरा खोल लेना चाहता था।


“वो … वो मेरे साथ मेरी योनि में डाल नहीं पाते।”


“ओह … यूँ कहो ना कि वो तुम्हारे साथ संभोग नहीं कर पाते।”


“हाँ, दिनेश कह रहा था कि तुम्हारी योनि बहुत संकरी है।”


“तो क्या आज तक उसने कभी भी तुम्हारी योनि में नहीं घुसाया?”


“नहीं डॉक्टर साहब!” नज़र झुकाए ही वो बोली।


“तो क्या तुम अभी तक कुँवारी ही हो? तुम्हारी शादी को तो साल भर से ज़्यादा हो चुका है.”


“हाँ साहब! वो कर ही नहीं सकते, मैं तो तड़पती ही रह जाती हूँ।” यह कहते कहते उमा  रुआंसी हो उठी।


“पर वो तो कहता है कि तुम सह नहीं पाती हो? और चीखने लगती हो, चिल्लाने लगती हो।”


“साहब वो तो हर लड़की पहली बार चीखती, चिल्लाती है। पर मर्द को चाहिए कि वो उसकी एक ना सुने और अपना काम करता रहे। पर ये तो कर ही नहीं सकते, इनके उसमें ताक़त ही नहीं है इतनी … सूखे से तो हैं।”


“पर वो तो कहता है कि तुमको संभोग की इच्छा ही नहीं होती?”


“झूठ बोलते हैं साहब! किस लड़की की इच्छा नहीं होती कि कोई बलिष्ठ मर्द आए और उसे लूट ले, पर उन्हें देख कर मेरी सारी इच्छा ख़त्म हो जाती है।”


“पर उमा  मैंने तो उसका काम अंग देखा है, ठीक ही है और वो संभोग कर तो सकता है. कहीं तुम्हारी योनि में ही तो कुछ समस्या नहीं?”


“नहीं साहब नहीं, आप उनकी बातों में ना आइए, पहले तो हमेशा मेरे आगे पीछे घूमते थे कि मुझसे सुन्दर गाँव में कोई नहीं! और अब!” वो सुबकने लगी।


“आप ही बताइए डॉक्टर साहब, मैं शादी के एक साल बाद भी कुँवारी हूँ और फिर भी उस घर में सभी मुझे ताना मारते हैं।”


“अरे नहीं उमा .” मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा- अच्छा! मैं सब ठीक कर दूँगा।


“अच्छा चलो यहाँ बिस्तर पर लेट जाओ, मुझे तुम्हारा चेकअप करना है।”


“क्या देखेंगे डॉक्टर साहब?”


“तुम्हारे बदन की जाँच तो करनी होगी।”


“जीईई? ऊपर से ही देख लीजिए ना डॉक्टर साहब! जो देखना है ऊपर से!”


“तुम तो बहुत खूबसूरत लगती हो, एकदम काम की देवी! तुम्हें देख कर तो कोई भी मर्द पागल हो जाए। फिर मुझे देखना यह है कि आज तक तुम कुँवारी कैसे हो। चलो लेटो बिस्तर पर और साड़ी उतारो।”


“जजज्ज़ई डॉक्टर साहब। मु… मुझे शर्म आती है!”

“डॉक्टर से शरमाओगी तो इलाज कैसे होगा?”


वो लेट गई, मैंने उसे साड़ी उतारने में मदद की। एक खूबसूरत जिस्म मेरे सामने सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में था लेटा हुआ वो भी मेरे बिस्तर पर … मेरे लंड में हलचल होने लगी, मैंने उसका पेटीकोट थोड़ा ऊपर को सरकाया और अपना एक हाथ अंदर डाला।


वो उधर नंगी थी। एक उंगली से उसकी चूत को सहलाया, वो सिसकी और अपनी जाँघों से मेरे हाथ पर हल्का सा दबाव डाला। उसकी चूत के होंठ बड़े टाइट थे, मैंने दरार पर उंगली घुमाने के बाद अचानक उंगली अंदर घुसा दी।


वो उछली हल्की सी … एक सिसकारी उसके होंठों से निकली।


थोड़ी मुश्किल के बाद उंगली तो घुसी। फिर मैंने उंगली थोड़ी अंदर बाहर की। वो भी साल भर से तड़प रही थी, मेरी इस हरकत ने उसे थोड़ा गर्मी दे दी।


इसी बीच एक उंगली से उसे छेड़ते हुए मैंने बाक़ी उंगलियाँ उसकी चूत से गांड के छेद तक के रास्ते पर फिरानी शुरू कर दी थी।


“कैसा महसूस हो रहा है? अच्छा लग रहा है?”


“हाँ! डॉक्टर साहब।”


“तुम्हारा पति ऐसा करता था? तुम्हारी योनि में इस तरह उंगली डालता था?”


“नहीं डॉक्टररर साहब्ब…” उमा  अब छटपटाने लगी थी, उसकी आँखें लाल हो उठी थी।


“अगर तुम्हारे साथ संभोग करने से पहले तुम्हारा पति ऐसा करे तो तुम्हें अच्छा लगेगा?”


“हाँ अम्म … वे तो कुछ जानते ही नहीं और सारा दोष मेरे माथे पर ही मढ़ रहे हैं।”


“अगली बार जब अपने पति के पास जाना तो यहाँ योनि पर एक भी बाल नहीं रखना, तुम्हारे पति को बहुत अच्छा लगेगा और वो ज़रूर तुम पर चढ़ेगा।”

“अच्छा डॉक्टर साहब।”


“जाओ उधर बाथरूम में सब काट कर आओ। वहाँ रेजर रखा है। जानती हो ना कि कैसे करना है? संभोग करने से पहले इसे सज़ा कर अपने पति के सामने पेश करना चाहिए।”

मैंने उमा  की चूत को खोदते हुए उसकी आँखों में आँखें डाल कहा।


“हाँ। डॉक्टर साहब, लेकिन उन्होंने तो कभी भी मुझे बाल साफ़ करने के लिए नहीं कहा।” उमा  ने धीरे से कहा।

वो गई और थोड़ी देर में वापस मेरे बेडरूम में आ गई।


“हो गया?”

“तो तुम्हें रेजर इस्तेमाल करना आता है, कहीं उस नाज़ुक जगह को काट तो नहीं बैठी हो?” मैंने पूछा।


“जी जी कर दिया, शादी से पहले मैंने कई बार रेजर पहले भी इस्तेमाल किया है।”

“अच्छा आओ फिर यहाँ लेट जाओ।”


वो आई और लेट गई, पिछली बार से इस बार प्रतिरोध काम था।


मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा पकड़ा और खींचना शुरू किया, पेटीकोट खुल गया। उसकी कमर मुश्किल से 22 इंच रही होगी और हिप्स की साइज क़रीब 34 इंच। जाँघों पर ख़ूब मांसलता थी, गोलाई और मादकता। विशाल पुट्ठे इस सुन्दर कामुक दृश्य ने मेरा स्वागत किया।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया- डॉक्टर साहब, ये क्या कर रहे हैं? आप तो मुझे नंगी कर रहे हैं!


“अरे देख तो लूं कि तुमने बाल ठीक से साफ़ किए भी या नहीं! और बाल काटने के बाद वहाँ पर एक क्रीम भी लगानी है।”


अब इससे पहले वो कुछ बोलती, मैंने उसका पेटीकोट घुटनों से नीचे तक खींच लिया था। अति सुन्दर! बला की कामुक!

“तुम बहुत खूबसूरत हो उमा ।” मैंने थोड़ा साहस के साथ कह डाला।


उसकी तारीफ़ ने उसके हाथों के ज़ोर को थोड़ा काम कर दिया और उसका फ़ायदा उठाते हुए मैंने पूरा पेटीकोट खींच डाला और दूर कुर्सी पर फेंक दिया।


यक़ीन! मानिए मुझे ऐसा लगा कि अभी उस पर चढ़ जाऊं। वो पतला सपाट पेट, छोटी सी कमर पर वो विशाल नितंब। सिर्फ़ एक ब्लाउज पीस में रह गया था उसका बदन! भरपूर नज़रों से देखा मैंने उसका बदन।


उसने शर्म के मारे अपनी आँखों पर हाथ रख लिया और तुरंत पेट के बल हो गई ताकि में उसकी चूत न देख सकूँ।

शायद चूत दिखाने में शर्मा रही थी।


“ज़रा पल्टो उमा ! शर्म नहीं करते. फिर तुम इतनी सुन्दर हो कि तुम्हें तो अपने इस मस्त बदन पर गर्व होना चाहिए।”

“नहीं डॉक्टर साहब, पराए मर्द के सामने मुझे बहुत शर्म आ रही है।”


“पल्टो ना उमा !” कहकर मैंने उसके पुटठों पर हाथ रखा और बल पूर्वक उसे पलटा। दो खूबसूरत जाँघों के बीच में वो कुँवारी चूत चमक उठी। उमा  उमा !! चूत की दोनों पंखुड़ियाँ फड़क सी रही थी। शायद उसने भाँप लिया था कि किसी मस्त से लंड को उसकी खुशबू लग गई है, उसकी चूत पर थोड़ी सी लाली भी छाई थी।


इधर मेरे लंड में भूचाल सा आ रहा था और मेरे अंडरवीयर के लिए मेरे लंड को कन्ट्रोल में रखना मुश्किल सा हो रहा था। फिर भी मेरे टाइट अंडरवीयर ने मेरे लंड को छिपा रखा था।


अब मैंने उसकी चूत पर उंगलिया फिराई और पूछा- उमा , क्या दिनेश तुम्हें यहाँ पर मेरा मतलब तुम्हारी योनि पर चूमता है?


“नहीं साहब, यहाँ कैसे चूमेंगे?”


“तुम्हारे इन पुटठों पर?” मैंने उसके गांड पर हाथ रख कर पूछा।


“नहीं डॉक्टर साहब, आप कैसी बातें कर रहे हैं।” अब उसकी आवाज़ में एक नशा एक मादकता सी आ गई थी। एक गर्म युवती किसी से चुदने के लिए तैयार थी।

“वो कहाँ कहाँ छूता है तुम्हें?”


“जी, यहाँ पर!” उसने अपने चूची की तरफ़ इशारा किया जो इस गर्म होते माहौल की खुशबू से काफ़ी बड़े हो गयी थी और लगता था कि जल्दी उनको बाहर नहीं निकाला तो ब्लाउज फट जाएगा। उसने कोई ब्रा भी नहीं पहनी थी।


मैं बिस्तर पर चढ़ गया। मैंने दोनों हथेलियाँ उसके दोनों मम्मों पर रखी और उन्हें कामुक अंदाज में मसलना शुरू किया।


वो तड़पने लगी- डॉक्टररर स्साहहाब क्या कर रहे ए ए हैं आप? यह कैसा इलाज आप कर रहे हैं?


“कैसा लग रहा है उमा ? मुझे अच्छी तरह से देखना होगा कि दिनेश ठीक करता है या नहीं। वह कहता है तुम हाथ लगाते ही ऐसे चीखने लग जाती हो।”


“बहुत अच्छा लग रहा है साहब। पर आप से यह सब करवाना क्या अच्छी बात है?”


मैंने उमा  की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसकी मस्त चूचियाँ दबानी जारी रखी।


“हाँह… आपका इनको हल्के हल्के दबाना बहुत अच्छा लग रहा है।”


“क्या दिनेश भी ऐसे ही मसलता है तेरे इन खूबसूरत स्तनों को?”


“नहीं साहब, आपके हाथों में मर्दानी पकड़ है।”


मैंने उसे कमर से पकड़ कर उठा लिया, बूब्स के भार से अचानक उसका ब्लाउज फट गया और वो कसे कसे दूध बाहर को उछाल कर आ गये, वाह! क्या ख़ूबसूरत कामुक अप्सरा बैठी थी मेरे सामने एकदम नग्न, 32-22-34 एकदम दूध की तरह उमा , बला की कमसिन।

मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था, अब मैंने उसके मुख को पकड़ उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।


इससे पहले वो कुछ समझ पाती, उसके होंठ मेरे होंठो के जकड़ में थे। मेरे एक हाथ ने उसके पूरे बदन को मेरे शरीर से लिपटा लिया था और दूसरे हाथ से ज़बरदस्ती उसकी जाँघों के बीच से जगह बना कर उसके गुप्ताँग में उंगली डाल दी, उसकी क्लिटोरिस पर मैंने ज़बरदस्त मसाज़ की, उसके पुट्ठे उठने लगे थे, वो मतवाली हो उठी थी।


मैंने उसके होंठों को चूमा- कभी दिनेश ने इस तरह किया तेरे साथ? सच कहना उमा ?


“नहीं डॉक्टर साहब, वे तो सीधे ऊपर चढ़ जाते हैं और थोड़ी देर हिल के सुस्त पड़ जाते हैं।”


“यही तो मुझे देखना है उमा । दिनेश कह रहा था कि तुम चिल्लाने लग जाती हो?”


“वो तो मेरी प्यास अधूरी रह जाने के कारण होता था.”

“बहुत अच्छा!”


“पर अब जाँच पड़ताल ख़त्म हो गई क्या डॉक्टर साहब? आप और क्या क्या करेंगे मेरे साथ?”


“अब मैं वही करूँगा जो एक जवान शक्तिशाली मर्द को एक सुन्दर कामुक खूबसूरत बदन वाली जवान युवती, जो बिस्तर पर नंगी पड़ी हो, के साथ करना चाहिए। तेरा बदन वैसे भी एक साल से तड़प रहा है, तेरा कौमार्य टूटने के लिए बेताब है और आज ये मर्दाना काम मेरा काम-अंग करेगा रात भर इस बिस्तर पर!”


मेरी उंगली जो अभी भी उसकी चूत में थी, ने अचानक एक लसलसा सा महसूस किया, यह उसका योनि रस था जो योनि को संभोग के लिए तैयार होने में मदद करता है, मेरी उंगली पूरी भीग गई थी और रस चूत के बाहर बहकर जाँघों को भी भिगो रहा था।

मेरी बात सुनकर उसके बदन में एक तड़प सी हुई चूतड़ ऊपर को उठे और उसके मुंह से एक सिसकी भरी चीख निकल पड़ी। बाद में थोड़ा संयत होकर उमा  बोली- डॉक्टर साहब, पर इससे मैं रुसवा हो जाऊँगी, मेरा मर्द मुझे घर से निकल देगा यदि उसे पता चला कि मैं आप के साथ सोई थी। आप मुझे जाने दीजिए, मुझे माफ़ कीजिये।


“तू मुझे मर्द समझती है तो मुझ पर भरोसा रख, मैं आज तुझे भरपूर जवानी का सुख ही नहीं दूँगा बल्कि तुझे हर मुसीबत से बचाऊँगा। तेरा मर्द तुझे और भी ख़ुशी ख़ुशी रखेगा।”

“वो कैसे डॉक्टर साहब?”


“क्योंकि आज के बाद जब वो तुझ पर चढ़ेगा वो तेरे साथ संभोग कर सकेगा। जो काम वो आज तक नहीं कर पाया तुम दोनों की शादी के बाद … अब कर सकेगा और तब तू उसके बच्चे की माँ भी बन जाएगी।”

“पर कैसे डॉक्टर साहब। कैसे होगा ये चमत्कार! साहब?”


“मेरी प्यारी उमा !” मैंने उसकी फटी चोली अलग करते हुए और उसके बूब्स को मसलना शुरू करते हुए कहा- तेरी योनि का द्वार बंद है उसे आज में अपने प्रचंड भीषण लण्ड से खोल दूँगा ताकि तेरा पति फिर अपना लण्ड उसमें घुसा सके और अपना वीर्य उसमें डाल सके जिससे तू माँ बन सकेगी।


मेरे मसलने से उसके बूब्स बड़े बड़े होने लगे थे और कठोर भी। उफ़्फ़्!! क्या लगती थी वो अपनी पूरी नग्नता में उन सॉलिड बूब्स पर वो गोल छोटी चूचियां भी बहुत बेचैन कर रही थी मुझे। उसका पूरा बदन अब बुरी तरह तड़प रहा था, नशीले बदन पर पसीने की हल्की छोटी बूँदें भी उभर आई थी। मेरा लण्ड बहुत ही तूफ़ानी हो रहा था और अब उसके आज़ाद होने का वक़्त आ गया था।

“डॉक्टर साहब मुझे बहुत डर लग रहा है, मेरी इज़्ज़त से मत खेलिए ना! जाने दीजिए, मेरा बदन उईइ माँ!”


“मुझ पर यक़ीन करो उमा  … यह एक मर्द का वादा है तुझसे! मैं सब देख लूंगा। तेरा बदन तड़प रहा है उमा  एक मर्द के लिए, तेरी चूत का बहता पानी, तेरे कसते हुए बूब्स साफ़ कह रहे हैं कि अब तुझे संभोग चाहिए।”


“साहब।”


“हाँ उमा  मेरी रानी, बोल?”


“मैं माँ बनूँगी ना?”


“हाँ!”


“मेरा मर्द मुझे अपने साथ रख लेगा ना। मुझे मारेगा तो नहीं ना!”


“हाँ उमा , तू बिल्कुल चिंता ना कर।”


“तो साहब फिर अपनी फ़ीस ले लो आज रात, मेरी जवानी आपकी है।”


“ओह! मेरी उमा  आ जा!”


“डॉक्टर साहब मुझे बहुत डर लग रहा है, मेरी इज़्ज़त से मत खेलिए ना! जाने दीजिए, मेरा बदन उईइ माँ!”


“मुझ पर यक़ीन करो उमा  … यह एक मर्द का वादा है तुझसे! मैं सब देख लूंगा। तेरा बदन तड़प रहा है उमा  एक मर्द के लिए, तेरी चूत का बहता पानी, तेरे कसते हुए बूब्स साफ़ कह रहे हैं कि अब तुझे संभोग चाहिए।”


“साहब।”


“हाँ उमा  मेरी रानी, बोल?”


“मैं माँ बनूँगी ना?”


“हाँ!”


“मेरा मर्द मुझे अपने साथ रख लेगा ना। मुझे मारेगा तो नहीं ना!”


“हाँ उमा , तू बिल्कुल चिंता ना कर।”


“तो साहब फिर अपनी फ़ीस ले लो आज रात, मेरी जवानी आपकी है।”


“ओह! मेरी उमा  आ जा!”


और हम दोनों फिर लिपट गए मेरा लण्ड विशाल हो उठा।


“डॉक्टर साहब बहुत प्यासी हूँ। आज तक किसी मर्द ने नहीं सींचा मुझे! मेरे तन बदन की आग बुझा दो साहब!”


“तो फिर आ मेरी जाँघों पर रख दे अपने चूतड़ और लिपट जा मेरे बदन से!”


थोड़ी देर बाद मेरे हाथ मेरी कमीज़ के बटनों से खेल रहे थे, कमीज़ उतरी, फिर मेरी पैंट। उमा  की नज़र मेरे बदन को घूर रही थी।


मेरा अंडरवियर इससे पहले फट जाता, मैंने उसे उतार डाला।

और फिर ज्यों ही मैं सीधा हुआ ….


मेरे लण्ड ने अपनी पूरी खूबसूरती से अपने शिकार को पूरा तनकर उठकर सलाम किया। अपने पूरी लंबाई और बड़े टमाटर जीतने लाल सुपारे के साथ!


उमा  बड़े ज़ोर से चीखी और बिस्तर से उठकर नंगी ही दरवाज़े की तरफ़ भागी।


“क्या हुआ उमा ?” मैं घबरा गया, मैं तना हुआ लण्ड लेकर उसकी तरफ़ दौड़ा।


“नहीं, मुझे कुछ भी नहीं करवाना। नहीईए मुझ … मुझे जाअ… जाने दो।” उमा  फिर चीखी।


“क्या हुआ उमा ?” लेकिन मैं उसकी तरफ़ बढ़ता ही रहा।


“साहब आपका ये ल ल लण्ड … ये लण्ड तो बहुत बड़ा और मोटा है ब बा बाप रे!! यह तो गधे के जैसा है … नहीं यह तो मुझे चीर देगा।”


“आओ उमा , घबराओ मत! असली मोटे और मज़बूत लण्ड ही योनि को चीर पाते हैं! गौर से देखो इसे छूकर देखो। इसे प्यार करो और फिर देखो ये तुम्हें कितना पागल कर देगा।”

“डॉक्टर साहब, है तो बड़ा ही प्यारा और बेहद सुंदर मुस्टंडा सा! मेरा तो देखते ही इसे चूमने का मन कर रहा है उफ़्फ़्फ़्फ़! कितना बड़ा है पर साहब, ये मेरी चूत में कैसे घुस पाएगा इतना मोटा? मैं तो मर जाऊँगी। दिनेश का लण्ड तो इसके सामने बहुत छोटा है जब वो ही नहीं जाता तो ये कैसे?”


“यही तो मर्द की संभोग कला कौशल होता है मेरी रानी, चूत खोलना और उसे ढंग से चोदना हर मर्द के बस की बात नहीं! वो भी तेरी चूत जैसी कुँवारी, क़रारी! तू डर मत, शुरू में थोड़ा सह लेना बस फिर देखना तू चुदवाते चुदवाते थक जाएगी पर तेरा मन नहीं भरेगा।”

“चल अब आ जा मेरी जान! अब और सहा नहीं जा रहा। मेरे लण्ड से खेलो मेरी रानी।” कह कर मैंने उसे उठा लिया बांहों में और बिस्तर पर लिटा दिया।


उसकी चूत ही नहीं बल्कि घुटनों तक जांघें भी भीग चुकी थी, बूब्स एकदम सॉलिड और बड़े बड़े हो गये थे, साँस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे, साँस ज़ोर ज़ोर से चल रही थी।


मैं बिस्तर पर चढ़ा और उसके सीने पर बैठ गया, उन्नत उठे बूब्स के बीच में मैंने अपने लंबे खड़े लण्ड तो बिठा दिया और दोनों बूब्स हथेली से दबा दिए मेरा लण्ड बूब्स के बीच में फंस गया। उंगलियों से बूब्स के निप्पल रगड़ते हुए में बूब्स को मसलने लगा और लण्ड से उसके संकरे क्लीवेज को फक करने लगा।


ऊपरी भाग में लण्ड का लाल सुपारा नंगा होकर उसके होंठों से छुआ करता और निचली भाग में नाभि की छुवन। उत्तेजना में आकर उमा  ने ज्यों ही चिल्लाने के लिए लब खोले ही थे कि मेरे लण्ड का सुपारा उसमें जाकर अटक गया और वो गों … गो … गू … गूओ … की आवाज़ करने लगी।


मैंने और ज़ोर लगाया ऊपर को तो लगभग आगे से 2-3 इंच लण्ड उसके मुँह में घुस गया। थोड़ी देर की कशमकश के बाद मोशन में सेट हो गया और मैं स्वर्ग में था।


लण्ड ने स्पीड पकड़ ली थी, उमा  का मुँह भी मेरे सुपारे को मस्त चूस रहां था, सुपारा अंदर तक जाकर उसके गले तक हिट कर रहा था।


कामुकता से उमा  के स्तन और भी बड़े, विशाल हो गये थे। अब मैं हल्का सा उठ कर आगे को सरका और उमा  के बूब्स पर बैठ गया और मैंने जितना संभव था, लण्ड उसके मुँह में घुसा दिया।


मेरी जाँघों के बीच कसा उसका पूरा बदन मोशन में बिना पानी की मछली की तरह तड़प रहा था।


थोड़ी देर के बाद मैंने लण्ड को निकाला और अब उमा  ने मेरे दोनों टट्टों को चाटना शुरू किया। बीच में वो मेरे लंबे लण्ड पर अपनी जीभ फिराती तो कभी सुपारे को चाट लेती।


थोड़ी देर के बाद मैंने 69 की पोजीशन ले ली तो उसे मेरे काम अंगों और आस पास तक पूरी पहुँच मिल गयी, अब वो मेरे चूतड़ भी चाटने लगी मैंने भी गांड का छेद उसके मुँह पर रख दिया।


उसने बड़े प्यार से मेरे चूतड़ को हाथों में लिया और मेरी गांड के छेद पर जीभ से चाटा। इस बीच मैंने भी उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा और चोदा।


पर वाकयी उसकी चूत बड़ी कसी थी जीभ तक भी नहीं घुस पा रही थी उसमें … एक बार तो मुझे भी लगा कि कहीं वो मर ना जाए मेरा लण्ड घुसवाते समय!

फिर मैंने उसे पलट कर के उसके बड़े बड़े गोल गोल चूतड़ भी चूसे और चाटे।


अब उमा  बड़े ज़ोर ज़ोर से सिसकारी भर रही थी और बीच बीच में चिल्ला भी उठती थी। वो मेरे लण्ड को दोनों हाथों से पकड़े हुए थी और अब काफ़ी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी थी- डॉक्टर साहब, चोद दो मुझे … चढ़ जाओ मेरे ऊपर … घुसा दो डॉक्टर साहब! दया करो मेरे ऊपर, नहीं तो मैं मर जाऊँगी।


“चाहे मैं मर ही जाऊं पर अपना ये मोटा सा लोहे का डंडा मेरे अंदर डाल दो।”


“देखो साहब मेरी कैसी लाल हो गई है गर्म होकर! इसकी आग ठंडी कर दो साहब अपने हथौड़े से।”


“वाह! क्या मर्दाना मस्त लण्ड है डॉक्टर साहब आपका … कोई भी लड़की देखते ही मतवाली हो जाए और अपने कपड़े खोलकर आपके बिस्तर पर लेट जाए. आओ साहब, आ जाओ घुसा दो उफ़्फ़!”


मेरा लण्ड भी अब कामुकता की सारी हदें पर कर चुका था, मैं उसकी टांगों के बीच में बैठा और उसकी टांगों को हवा में भी शेप की तरह पूरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी चूत पर अपने लौड़े को रखा और आहिस्ता से पर ज़रा कस कर दबाया।


उमा  की कुंवारी चूत इतनी चिकनी थी कि लण्ड का सुपारा तो घुस ही गया और साथ ही गोटी की चीख निकली- आह मर ररर… मर गई डॉक्टर साहब!


“घबराओ नहीं मेरी जान!” और मैंने लण्ड को हाथ से पकड़ थोड़ा और घुसाया।


वो मुझे धक्का देने लगी, वो चिल्ला भी रही थी दर्द के मारे। तब मैं उसे ज़बरदस्ती नीचे पटक कर उस पर लेट गया। अपनी छाती से उसके बूब्स को मसलते मसलते आधे घुसे लण्ड को एक ज़बरदस्त शॉट मारा।


वो इतनी ज़ोर से चीखी जैसे किसी ने मार ही डाला हो! उसका शरीर भी तड़प उठा और उसने मुझे कस कर जकड़ भी लिया था। मेरे लण्ड का क़रीब 6 इंच अंदर घुसा हुआ था। और शायद उसकी कौमार्य की झिल्ली जो तनी हुई थी और अभी फटनी बाक़ी थी।


थोड़ी देर बाद जब वो शांत सी हुई तो बोली- डॉक्टर साहब, मुझे छोड़ दो, मैं नहीं सह पाऊँगी आपका लण्ड।


मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और एक ज़बरदस्त चुम्बन दिया जिसमें उसके कठोर बूब्स बुरी तरह कुचल गये थे।


उसकी लंबी बांहों ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी टांग भी मेरी टांगों से लिपट रही थी जैसे ठीक से चुदने के लिए पोजीशन ले रही हो।


थोड़ी देर में जब मुझे लगा कि वो दर्द भूल गई है तो अचानक मैंने लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकालते हुए एक भरपूर शॉट मारा। लण्ड का यह प्रहार इतना शक्तिशाली था कि वो पस्त हो गई, एक और चीख के साथ एक हल्की सी आवाज़ के साथ उसका कौमार्य आज फट गया था, शादी के एक साल बाद वो भी एक दूसरे मर्द से और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया।


उसकी चूत से रस धार बह निकली और बूरी तरह हाँफ़ रही थी।

अब उमा  की चूत पूरी लसीली थी और मैं अभी तक नहीं झड़ा था, मैंने ज़ोरदार धक्कों के साथ उसे चोदना शुरू किया, उसकी टाइट चूत की दीवारों से रगड़ ख़ा के मेरा लण्ड छिल जा रहा था।

लेकिन मैं रुका नहीं और उसे बूरी तरह चोदता रहा।


फिर मैंने लण्ड उसकी चूत से खींच लिया और लण्ड एक आवाज़ के साथ बाहर आ गया सोडा वाटर की बोतल खोली हो।


मैंने उसे डॉगी स्टाइल में कर दिया और पीछे से लण्ड उसकी चूत में डाल उसे चोदने लगा। अब उमा  भी मस्ती में आ गई और मुझे ज़ोर से चोदने के लिए उकसाने लगी- चोदो मुझे डॉक्टर साहब, फाड़ दो मेरी! डॉक्टर साहब, छोड़ना मत मुझे… बुरी तरह फाड़ दो मुझे! और ज़ोर से चोद दो मुझे … मैं दासी हूँ आपकी! आपकी सेवा करूँगी, रोज़ रात दिन आपके सामने बिल्कुल नंगी होकर रहूंगी, “आपके लिए हमेशा तैयार रहूंगी और जब जब आपका लण्ड चाहेगा तब तब चुदवाने के लिए आपके बिस्तर पर लेट जाऊँगी। पर मुझे ख़ूब चोदो साहब … और ज़ोर से … और तेज़ी से चोदो साहब।

उस रात मैंने उमा  को दो बार चोदा।


दूसरे दिन दोपहर में ठकुराईन क्लिनिक में आ गई, मैंने उसे बताया कि चेकअप हो गया है और शाम तक छोटा सा ऑपरेशन हो जाएगा और कल आपकी बहू आपके घर चली जाएगी।

ठकुराईन संतुष्ट होकर वापस हवेली चली गई.


आज रात उमा  ख़ुद उतावाली थी कि कब रात हो। उसे भी पता था कि कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मज़ा लूटने का। उसने आज कामवासना में मैंने जैसा चाहा वैसे करने दिया। एक दूसरे के अंगों को हम दोनों ख़ूब चूसा, प्यार किया, सहलाया और जी भर के देखा।


फिर मैंने उमा  को तरह तरह से कई पोज़ में चोदा। साथ में आने वाले दिनों में उसे अपने ससुराल में कैसे रहना है और क्या करना है सब समझा दिया।

दूसरे दिन दिनेश भी शहर से आ गया, मैंने उसे समझा दिया- उमा  का ऑपरेशन हो गया है!

“डॉक्टर साहब उमा  अब माँ बनेगी ना?”


“हाँ पर तुम जल्दबाज़ी मत करना … अभी एक महीने तो उमा  से दूर ही रहना! और हाँ इसे बीच बीच में यहाँ चेकअप के लिए भेजते रहना, यह बहुत सावधानी का काम है!”

दिनेश ने कुछ असमंजस से हाँ भरी। फ

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