सोनी की अपनी कहानी Soni Ki Apni Kahani

 सोनी की अपनी कहानी ---Soni Ki Apni Kahani

Desi Story
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दोस्तो, मैं अपने घर से बहुत दूर रहती हूं. 

मैं पिछले 6 साल से पढ़ाई के लिए अपने चाचा और चाची के यहाँ रहकर पी०एच०डी० कर रही हूँ। 

मेरे चाचा 40 साल के हैं और उनकी खिलौनों की फैक्ट्री है।

मेरी चाची 38 साल की हैं तथा हॉस्पिटल में सीनियर नर्स हैं। चाची की 12 घंटे की नाईट शिफ़्ट तथा 12 घंटे की दिन की ड्यूटी रहती थी।

जब चाची की नाईट ड्यूटी होती थी तो चाचा भी फैक्ट्री में ही सोते थे।

 अधिकतर समय मैं अकेली ही रहती थी. 

तब मैं घर में नंगी ही रहती. अपना नंगा बदन शीशे में निहारती, नंगी होकर ही घर का काम करती और ब्लू फ़िल्म देखती. फिर गर्म होकर मैं अपना हस्तमैथुन करती।

जब कभी चाचा मेरी चाची की चुदाई करते तो मैं उनकी आवाज़ सुनकर ही मदहोश हो जाती थी। मैं उन दोनों को देख तो नहीं पाती थी लेकिन उनकी आवाज़ कमरे से बाहर आती रहती थी।

चाची की पायल और चूड़ियों की आवाज़ और दोनों के चुम्बनों और फच्च फच्च की आवाज़ सुनकर मेरे रोम रोम में वासना चढ़ जाती थी। उस वक्त मन करता था कि काश … कोई लंड मेरी चूत की भी मालिश के लिए होता।

अब मैं आपको अपने बारे में बताती हूं. 

मेरी उम्र 24 साल है और मैं 5 फ़ीट 9 इंच की हूं. 

मेरा वजन 90 किलो है. 

आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मैं कितनी मोटी तगड़ी और लम्बी लड़की हूं।

मेरी चौड़ी छाती, मोटी जांघें और गोरा बदन मेरी जवानी में निखार लाता है। 

मेरी चूचियों का साइज 44 है। मुझे जम्बो ब्रा आती है। 

मेरी कमर 36 और चूतड़ लगभग 48 साइज के हैं।

दोस्तो, मेरी चूचियां बहुत बड़ी हैं इसलिए वजन से लटक जाती हैं।

मेरा एक भाई है जो गांव में रहता है। 

उसका नाम नीलेश है। 

सब लोग उसे प्यार से नीलू कहते हैं। वो 20 साल का है।

नीलू पढ़ाई में ज्यादा होशियार नहीं है और वो 12वीं में दो बार फेल भी हो चुका है। 

चाचा जी ने एक रात को डिनर के टाइम बताया- मैं गाँव से कल नीलेश को अपने घर पर ले आऊँगा. 

वो यहीं से बारहवीं की प्राइवेट परीक्षा दे देगा।

चाची ने भी हामी भर दी।

मेरा मन ही मन मूड ख़राब हो गया कि वो घर पर रहेगा तो मैं नंगी कैसे रहूँगी? 

वैसे मेरा भाई बहुत ही सीधा औऱ मासूम था. घर का सारा काम और खेती बाड़ी भी करता था।

अगले दिन चाचा चले गये और दो दिन बाद नीलेश के साथ आ गए। नीलेश की हाइट 5 फीट 10 इंच है। वो बहुत लम्बा है। मैं उसको देखकर खुश हो गयी।

मैंने उसके लिए खाना बनाया और फिर हम लोग बातें करने लगे।

मैं बोली कि नीलेश मेरे कमरे में ही सो जायेगा। वैसे भी फ्लैट में दो ही रूम थे।

एक रूम चाचा चाची का था और दूसरे में मैं सोती थी। इसलिए नीलेश को भी मेरे ही रूम में सोना था। 

अब नीलेश आ गया तो मुझे पजामा और टी-शर्ट पहन कर सोना पड़ता था।

हम भाई बहन ने रात भर खूब बातें की और दोनों सो गए। अब नीलू पूरा दिन घर पर रहने लगा और मैं कॉलेज जाती और शाम को आती थी।

एक दिन जब चाचा चाची घर पर नहीं थे तो खूब तेज़ बारिश हो रही थी।

मेरा मन बारिश में नहाने को करने लगा तो मैंने नीलेश से कहा- चल बारिश में नहाते हैं. तो उसने मना कर दिया; वो बोला- दीदी आप नहा लो।

मैं घर के आंगन में बारिश में आ गई और मज़े से नहाने लगी।

मेरा नाईट सूट गीला होते ही मेरे बदन से चिपक गया। 

मेरे चूचों और गांड का उभार देखने लायक था।

तभी वहाँ नीलेश आ गया. मैंने उसको बोला- आ जा … 

बारिश में नहा ले. 

वो मेरे कहने पर नहाने के लिए फिर भी नहीं आया।

फिर मैंने एक बात नोट की कि नीलेश मुझे और मेरी बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था। 

मुझे भी अजीब लगा कि एक सगा भाई अपनी बड़ी बहन को अलग नज़र से देख रहा है।

दोस्तो, लड़कियां मर्दों की नज़रों को देख कर समझ लेती हैं कि उनकी नज़र किस तरह की है।

नीलेश नज़रें चुराकर मेरी भीगी हुई चूचियां और मेरे मोटे व बड़े बड़े चूतड़ देख रहा था। 

मैंने भी सोचा कि देखने दो।

मैं भी देखना चाहती थी कि रिश्ता बड़ा होता है या वासना। फ़िलहाल मुझे वासना रिश्तों पर भारी लग रही थी।

अब मैं झुककर भाई को अपनी चूचियों के सही से दर्शन कराने लगी।

वो भी अब बिना नज़रें चुराए मुझे देखने लगा। 

मैंने बोला- नीलेश आ जा. नहा ले बारिश में। 

वो बोला- दीदी, सारे कपड़े गीले हो जायेंगे। 

मैं बोली- तो क्या हुआ? 

बाद में धुल भी जाएँगे; तू आ जा!

अब वो भी बारिश में आ गया। हम दोनों नहाने लगे।

वो लगातार मेरे वक्षों को निहार रहा था। 

मैंने भी उसको नहीं टोका और अपने उरोज़ सही से दिखाने लगी।

कुछ देर बाद वो बोला- दीदी, मैं नहाने जा रहा हूँ. 

आपके गीले कपड़े धोने हैं क्या? मैंने कहा- हाँ भाई, धोने तो हैं. तू एक काम कर … मेरी अलमारी से एक मेरी एक चुन्नी ला दे। 

मैं उसको लपेटकर ही बारिश में नहा लूँगी और कपड़े तुझे दे दूँगी. तू धो लेना। 

वो बोला- ठीक है दीदी, अभी लाकर देता हूँ।

मेरा भाई तुरन्त एक चुन्नी ले आया। 

मैंने कहा- चल पीछे मुँह करके खड़ा हो जा. मैं कपड़े निकलती हूँ. तू ले कर जाना।

कहने पर वो बेचारा मुँह घुमाकर खड़ा हो गया. 

मैंने नाईट सूट, ब्रा और पैंटी भी निकाल दी और चुन्नी अपनी चूचियों और गांड पर लपेट ली। कुछ ही देर में चुन्नी भीग गई और मेरी चूचियां साफ साफ दिखने लगीं।

मैंने कहा- नीलेश, ले कपड़े ले जा। 

वो कपड़े लेने के लिए मेरी ओर घूमा तो मेरे भीगे उरोजों को देखता ही रह गया।

मैंने उसके हाथ में अपनी पैंटी और ब्रा दे दी। वो चला गय

मेरे दिमाग में शरारत आई कि नीलेश भैया को अपने जिस्म के दर्शन करवा कर गर्म करती हूँ।

थोड़ी देर बाद मैं आँगन में स्टूल को नीचे गिराकर लेट गई औऱ ज़ोर से चिल्लाई- आह … ऊऊ … मर गई।

तभी नीलेश दौड़ता हुआ आया और बोला- क्या हुआ दीदी? मैं दर्द का नाटक करते हुए बोली- भाई मैं फिसल गई. कमर में शायद मोच आ गई है।

मेरे बदन से चुन्नी ऊपर वाले हिस्से से सरक कर नीचे हो गई थी. मेरे भारी भरकम उरोज आधे दिख रहे थे। मैंने ऐसा नाटक किया कि सच में ज्यादा चोट लगी हो.

मैं बोली- मेरी मदद करो. मुझे उठाकर बाथरूम तक ले चलो. मुझे नहाना है। नीलेश मुझे उठाने की कोशिश करने लगा. मेरा वज़न ज्यादा था.

फिर मैं उसके कंधे पर हाथ रखकर बाथरूम तक गई और बोली- भाई मैं नहा लूँ, तू बाहर खड़ा हो जा! वो बाहर खड़ा हो गया और मैं ऊ … आह्ह … आई … की आवाजें करते हुए दर्द का नाटक करते हुए नहा ली।

मैंने तौलिया लपेट लिया और फिर नीलू को कहा कि मुझे कमरे में ले चले। वो मुझे उठाकर कमरे में ले गया।

फिर मैंने उसको अलमारी से मेरा गाउन और पैंटी निकालने को कहा।

भाई मुझे लगातार देख रहा था. उसकी हालत मेरा जिस्म देखकर खराब होती जा रही थी।

मैं भी धीरे-धीरे उसको गर्म करना चाहती थी। मुझे भी मज़ा आ रहा था अपने जिस्म की नुमाईश करवाने में।

शायद आज पहली बार किसी मर्द ने मेरा नंगा जिस्म देखा था। वो भी मेरा सगा भाई!

मगर मर्द तो मर्द ही होता है। मैं देखना चाहती थी कि वो अपने आपको कितना कंट्रोल करके रखेगा।

मैं पैंटी और गाउन पहनकर बेड पर उल्टी होकर लेट गई और कराहती रही।

वो मेरे पास ही खड़ा होकर देखता रहा और बोला- दीदी, डॉक्टर के पास चलो ज्यादा दर्द है तो?

उससे मैंने कहा- बारिश में कैसे जाऊंगी? तू एक काम कर … चाची के रूम में तेल रखा होगा; वो ले आ, मैं लगा लूंगी तो आराम हो जाएगा। वो गया और तेल लेकर आ गया।

मैंने तेल लिया और लगाते हुए फिर से चिल्लाने लगी। मैं बोली- बहुत दर्द हो रहा है, मैं तेल नहीं लगा पा रही हूं। वो बोला- लाओ दीदी, मैं लगा देता हूं।

फिर मैं दोनों हाथ सीधे करके उल्टी होकर लेट गई। नीलेश ने धीरे धीरे मेरा गाउन ऊपर कर दिया और मेरी गर्दन तक चढ़ा दिया जिससे मेरा मुँह भी ढक गया।

तेल निकाल कर वो मेरी कमर पर लगाने लगा. मैं फिर से दर्द का नाटक करने लगी और बोली- बहुत दर्द हो रहा है; आराम से कर!

जब गाउन ऊपर तक हो गया तो मेरी चूचियां बगल से निकल गईं जो साफ़ दिख रही थीं। नीलेश मेरी चूचियों को निहार रहा था।

थोड़ी देर मालिश के बाद मैं बोली- नीलेश कमर से नीचे भी तेल लगा दे! वो बोला- कहाँ दीदी? मैं बोली- गधे … चूतड़ों पर। मैं चूतड़ों के बल ही लेटी हुई थी।

मेरे कहने पर वो पैंटी के ऊपर से ही मेरी गांड दबाने लगा.

मैं बोली- भाई पैंटी निकाल दे. वो तो जैसे ये सुनने के लिये बेताब था, उसने तुरंत मेरी पैंटी मेरे पैरों से निकाल कर बाहर कर दी।

अब मैं अपने भाई के सामने पीछे से पूरी नंगी थी। वो तेल लगाने लगा। उसका लंड तना हुआ था।

मेरी टाइट गांड पर भाई तेल लगा कर मालिश करने लगा। मुझे मज़ा आने लगा; मैं वासना में तड़पने लगी।

मैंने अपनी टांगें मिला रखी थीं। नीलेश मेरी दोनों टांगें खोलने की कोशिश कर रहा था।

मेरी चूत घने काले बालों से घिरी हुई थी और मेरी गांड की गली में भी बाल थे। नीलेश मेरी चूत देखने के लिए बेताब हो रहा था। परंतु मैं खेल को ओर आगे तक ले जाना चाहती थी।

वासना में मेरी चूत से पानी निकल रहा था और मैं तड़पने लगी थी। मन हो रहा था कि नीलेश का लंड चूत में डलवा लूँ।

जब मुझसे भी नहीं रहा गया तो मैंने अपनी टांगें खोल दीं. मेरी चूत नीलेश के सामने थी।

भाई मेरी गांड और चूत दोनों के दर्शन कर रहा था। मैं बोली- नीलेश क्या देख रहा है? वो बोला- कुछ नहीं दीदी!

मैं- तो फिर मालिश करता करता क्यों रुक गया? वो बोला- नहीं दीदी, कर रहा हूँ।

मैं बोली- भाई … ये चूत होती है, ये तो तुझे पता होगा? नीलेश- दीदी, ये तो सु-सु है आपकी! मैं बोली- उफ्फ़ गधे … अब ये चूत है। वो बोला- ओके दीदी।

मैं बोली- तूने पहले कभी नहीं देखी क्या किसी की चूत? नीलेश- नहीं दीदी, पहली बार आपकी ही देख रहा हूँ। मैं- हम्म … मेरा भाई कितना शरीफ़ और मासूम है। चल आराम से देख ले!

वो बोला- दीदी, आपके यहाँ तो बहुत बाल हैं। मैं- हाँ भाई शेव करने का टाइम ही नहीं मिल पाता। तेरे भी तो लंड पर बाल होंगे?

उसने कहा- मेरी सु-सु पर? मैं बोली- हां, अब तो तू 20 साल का हो चुका है, अब तो लंड बन गया होगा तेरा। वो बोला- पता नहीं दीदी!

मैं बोली- क्यों? तू हस्तमैथुन नहीं करता? वो बोला- नहीं दीदी, ये क्या होता है? मैं बोली- चल झूठे, सब पता है तुझे!

वो बोला- नहीं दीदी, आपकी कसम मुझे कुछ नहीं पता और ना ही मैं कुछ करता हूँ।

इतना तो मुझे पता था कि नीलेश झूठ नहीं बोलता और सच ही बोल रहा था वो!

मैं बोली- ओके नीलेश, तू तो सच में बहुत मासूम है। क्या तू सीखना चाहता है? वो बोला- हां दीदी, मगर उससे होगा क्या? मैं बोली- उससे तुझे बहुत मजा आयेगा।

मैं बोली- अच्छा सुन … मैं सीधी हो रही हूँ. आगे से भी मालिश कर दे. वो बोला- ठीक है।

मैं सीधी हो गई. अब मेरी विशाल चूचियां भाई के सामने थीं।

वो बोला- दीदी आपके ये दोनों (चूचे) तो बहुत बड़े हैं. मैंने कहा- हम्म … अच्छा चल मालिश कर इनकी! नीलेश- जी दीदी.

मेरी चूचियों की मालिश होती रही और मैं सातवें आसमान की सैर करने लगी। मेरी चूत पानी पानी हो गई.

मैं बोली- नीलेश भाई, मेरी जांघों के बीच में मालिश कर. नीलेश- जी दीदी।

उसके तेल लगे हाथ मेरी चूत के दाने को रगड़ने लगे. मैं मछली की तरह तड़प गई. मैं बोली- ऐसे मत कर! सुन … तू अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दे, मुझे अंदर बहुत खुजली हो रही है.

वो बोला- कहाँ दीदी? मैंने कहा- भाई नीचे देख, एक छेद होगा उसमें. वो फिर बोला- कहाँ? मैं- अरे यार … रुक तू!

अब मैंने ही उसकी उंगली पकड़ कर अपनी चूत के छेद में लगा दी। अब उसने उंगली अंदर डाल दी. मैं बोली- भाई, अंदर बाहर कर उंगली.

आह्ह … अब उसकी उंगली मेरी गीली चूत में अंदर बाहर हो रही थी. मैं आसमान में उड़ने लगी. मेरा पानी निकल गया और नीलेश के हाथों पर मेरा पानी आ गया।

मेरा पूरा मूड चुदने का हो रहा था। मगर समझ नहीं आ रहा था कि उसको चोदने के लिए कैसे कहूं।

फिर मैंने कहा- नीलेश, चल तू अपनी सु-सु दिखा!

वो बोला- नहीं दीदी, मुझे शर्म आती है। मैं बोली- मैं तेरी बड़ी बहन हूं, तुझे मुझसे क्यों शर्म आ रही है … ला दिखा। मैं भी तो पूरी नंगी हूं तेरे सामने.

वो अपना पजामा खोलने लगा. मेरी जिज्ञासा बढ़ने लगी। पहली बार किसी मर्द का लौड़ा देखने का मौका मिल रहा था।

नीचे वो अंडरवियर पहने हुए था. मैंने वो भी निकालने के लिए बोला तो उसने अंडरवियर भी निकाल दिया।

माय गॉड….!! जैसा मैंने सोचा था कि लंड छोटा होगा मगर उसका एकदम उलट था।

भाई का लंड 6 से 7 इंच का था और गोरा … एकदम लाल सुपारा … घनी लंबी काली झांट, गोल-गोल गोरे टट्टे। मेरा तो दिमाग ही सुन्न हो गया लंड देखकर।

मैं बोली- नीलेश, तू तो बहुत बड़ा हो गया है भाई. आज तक तूने अपने लंड का पानी तक नहीं निकाला? वो बोला- नहीं दीदी! मैंने कहा- चल मेरे पास आ. मैं सिखाती हूँ वीर्यपात कैसे होता है।

अब मैंने भाई का लंड अपनी मुट्ठी में ले लिया. लंड से प्री-कम निकल रहा था. मैं समझ गई कि नीलेश गर्म हो रहा है.

मेरे पुरुष पाठक समझ सकते हैं कि जब वो गर्म होते होंगे तो प्री-कम आता है।

मैं भाई का लंड लेकर आगे पीछे करने लगी. दो मिनट ही हुई होगी कि भाई के लंड ने पिचकारी छोड़ दी. उसका गाढ़ा गाढ़ा सफेद वीर्य मेरे मुँह व चूचियों पर गिर गया. मैंने वीर्य जीभ से चाट लिया।

अब मेरा चुदने का मूड हो गया।

दस मिनट तक मैं और भाई बेड पर लेटे रहे। मैंने पूछा- भाई तुझे और मज़ा चाहिए? वो बोला- हाँ दीदी.

ये सुनकर मैं नीलेश के ऊपर आ गई. मेरा वज़न ज्यादा था मगर उसने सहन कर लिया. मैंने उसकी गर्दन पर, होंठों पर, बगल में, छाती पर चुम्बन देना शुरू कर दिया.

मैं धीरे धीरे नीचे आ गई और लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी. उसके मुँह से कामुक आवाज़ें आनी शुरू हो गईं- आह्ह … ओह्ह .. हाय … मोना दीदी … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है … प्लीज … करती रहो … आह्ह … ऐसे ही … आह्ह।

मैं बोली- अब तू मेरे ऊपर आ जा और ऐसे ही कर जैसे मैंने किया. भाई मेरे ऊपर आ गया और चुम्बन करने लगा. मैं आँखें बंद कर भाई से चिपट गई.

नीलेश ने मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया. मैं तड़प गई. औरत की वासना चूत से ज्यादा चूचियों में होती है. बस अगर चूचियों को सही रगड़ा जाये तो चुदासी बहुत जल्दी हो जाती है वो।

मैं सिसकारते हुए बोली- आह्ह … भाई प्लीज मेरी चूत चूस … आह्ह। वो बोला- जी दीदी। अब वो मेरी चूत को चाटने लगा. मेरे मुंह से कामुक आवाजें निकलने लगीं- आह्ह … आई … आह्ह … होह् .. अम्म … आह्ह … प्लीज … अपनी जीभ को चूत में डालो।

वो बोला- दीदी, आपकी चूत से नमकीन पानी बाहर आ रहा है। मैं बोली- पी ले इसको! वो मेरी चूत का पानी चाटने लगा.

मैं सिसकारी- आह्ह … नीलेश … अपनी दीदी की चूत चोद दे … आह्ह इसमें लंड घुसा कर चोद दे नीलेश। मैंने उसको अपनी टांगों के बीच में बिठा लिया और उसका लंड अपनी चूत पर लगवा लिया।

लंड को चूत पर रखवाकर मैं बोली- अब धक्का लगा दे! भाई ने अंदर की ओर डाला मगर लंड फिसल गया।

मैं बोली- दोबारा ऐसे ही कर। वो बोला- दीदी, थोड़ी चौड़ी कर दो टांगें।

मैंने टांगें और ज्यादा फैला दीं। अब उसने दोबारा प्रयास किया। मगर चूत में लंड जा ही नहीं पा रहा था।

उससे मैंने बोला- भाई थोड़ी क्रीम लगा लंड पर और मेरी चूत पर भी लगा ले। उसने सही से क्रीम लगाई और मेरी चूत के छेद पर लौड़ा रख कर बोला- दीदी डालूं अब? मैं बोली- हाँ भाई, डाल जल्दी! मैं बेचैन हो रही हूँ।

नीलेश ने जोर से धक्का लगाया तो आधा लंड मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ चूत में समा गया। मैं इस धक्के के लिए तैयार नहीं थी; मैं चिल्ला पड़ी- ओये … मार डाला … उफ्फ मेरी चूत … फट गयी।

भाई का लंड अंदर जाते ही मेरा कुँवारापन खत्म हो गया और साथ ही खत्म हो गया भाई बहन का रिश्ता भी। अब मैं एक लुगाई बन गई थी।

नीलेश ने दूसरा धक्का लगाया तो लंड अंदर जाने लगा क्योंकि चूत बहुत गीली थी. सच में चूत में दर्द हो रहा था. मैं आँख बंद करके पड़ी रही।

अब भाई लौड़े से चूत को चोदने लगा. मैं अपनी गांड उछाल कर लौड़ा अंदर लेने लगी।

मुझे चुदने में आनंद आने लगा. दर्द मज़े में तब्दील हो गया. उसकी स्पीड तेज होती गयी और मेरी सिसकारियां भी- आह्ह … नीलू … फाड़ दे अपनी बहन की चूत! आह्ह … चोद दे इसे!

मेरी चुदास पूरे चरम पर थी। मैंने बेड शीट को हाथों से जकड़ लिया और मेरा सिर बेड से लग गया तो लंड का दबाव चूत में ज्यादा बढ़ गया.

मैं सिसकारते हुए चुद रही थी- आह्ह … हाय … नीलू … तूने तो लुगाई बना दिया रे … चोद भाई … जमकर चोद। मेरे बोलते ही उसकी स्पीड में इजाफ़ा हो जाता था।

अब मैं उठ गई और घोड़ी बन गई. नीलू मेरे पीछे आ गया. वो मुझे पीछे से चोदने लगा और मेरा मजा और बढ़ गया।

बीस मिनट तक चुदने के बाद मैं छूटने वाली थी. मैंने भाई से बोला- भाई कब तक निकलेगा तेरा?

वो बोला- दीदी अभी तो नहीं. मैं बोली- ठीक है भाई … तू चोद।

अब मैं दोबारा नीचे आ गयी और भाई मेरे ऊपर.

मैं बोली- जब निकलेगा तो बता देना और अपना वीर्य चूत में मत छोड़ना, वर्ना मैं तेरे बच्चे की मां बन जाऊंगी। इतना बोले हुए दो मिनट हुई थी कि वो जोर से सिसकारियां लेने लगा- आह्ह … दीदी … आह्ह … आह्ह … निकलने वाला है .. आह्ह।

तभी भाई ने अपने गर्म वीर्य से मेरी चूत भर दी. मैंने भी अपना पानी छोड़ दिया.

वो मेरे ऊपर लेट गया और हाँफने लगा। हम दोनों ने चरमोत्कर्ष प्राप्त किया और मंजिल को पार कर गये।

दस मिनट बाद भाई मेरे ऊपर से उठ गया और नीचे मेरी चूत को देखने लगा। चूत में से खून और वीर्य दोनों बह रहे थे।

वो बोला- दीदी, आपकी चूत से खून निकल गया. मैं बोली- हाँ नीलू, ये चूत में झिल्ली होती है, तेरे लंड ने उस झिल्ली को तोड़ दिया है। इस तरह उस दिन हम दोनों ने चार बार चुदाई की।

और आप लोग भी कहानी पढ़ के कॉमेंट नहीं करते हमे बुरा लगता है।


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