किचन में जीजू Kitchen main Jiju

 किचन में जीजू Kitchen main Jiju


Desi Story


दोस्तो, मेरा नाम अंजलि है और मैं 24साल की हूँ एक छोटी सी बेटी है। 

बात काफी पुरानी है, दरअसल हम दो जुड़वाँ बहनें भाई  हैं, मेरा फिगर बहन जैसी लड़की वाला 

खुशबू मुझसे सिर्फ 2 मिनट बड़ी है  हम दोनों की शक्ल, सूरत, जिस्म के आकार बिल्कुल एक से हैं। यानि हम दोनों इतनी मिलती जुलती हैं

 कि अक्सर हमारे माँ बाप भी हमें पहचानने में धोखा खा जाते हैं। मगर जिस बात का हम दोनों में फर्क था वो थी हमारी नेचर , 

मतलब यह कि जहाँ खुशबू बहुत लड़की नर्म स्वभाव की है, मुझमें उदंडता और जलन की भावना कुछ ज़्यादा ही है ho ek 

ladke na felling bale ladki ho ya ladki ban ke likhogi Anjali 

न जाने क्यों मगर मैं हमेश ही खुशबू से जलती हूँ। जैसे जैसे मैं बड़ी हो रही थी, मुझमें जलन बढ़ती जा रही थी। हम दोनों एक 

साथ जवान हो रही थी, दोनों को पहली  भी एक ही दिन आई, दोनों एक ही दिन ब्रा पहननी शुरू की, क्योंकि हम बिल्कुल एक जैसी थी, इसलिए एक दूसरे के कपड़े भी पहन लेती थी judwaa hone ladke figure hoga mera 

, मगर न जाने मुझे क्यों लगता था कि खुशबू मुझसे बेहतर है। जबकि कोई भी आम इंसान हम दोनों में कोई फर्क नहीं ढूंढ पाता था, सिवाए इसके कि मेरी जांघ पे एक छोटा सा gora lund था, जो सिर्फ पेंटी उतारने पे ही दिखता था।

स्कूल पास करके हम दोनों कॉलेज में आई। वहीं पे हमें अमित मिला, मगर उसने भी मेरी बजाए खुशबू को ही प्रपोज़ किया, इसने तो मुझे अंदर तक जला डाला। इसी जलन की वजह से मैं भी यह महसूस करने लगी थी कि मैं भी अमित से प्यार करने लगी हूँ

, मुझे यह लगता था कि अगर मैंने अमित को हासिल नहीं किया तो पता नहीं क्या हो जाएगा। और इसी वजह से मैं एक बार डेट पर अमित के साथ खुशबू बन कर चली गई। डेट पे हमने मूवी देखी

, मूवी देखते हुये अमित ने मुझे किस किया और मेरी शर्ट में हाथ डाल कर मेरे नए नए जवान हुये बूब्स को भी दबाया। यह मेरी ज़िंदगी का पहला किस था और अपनी लाइफ में पहली बार किसी लड़के ने मेरी शर्ट के अंदर हाथ डाल कर मेरे बूब्स मसले थे।

जब मूवी देख कर हम बाहर आए तो अमित बोला- ओ के Anjali फिर कब मिलोगी? मुझे बड़ी हैरानी हुई कि इसने मुझे कैसे पहचान लिया। मुझे हैरान देख कर वो बोला- तुम सोच रही होगी कि मैंने तुम्हें कैसे पहचान लिया? बहुत आसान है, खुशबू ने कभी भी मुझे छूने नहीं दिया,

 हमने एक दूसरे से प्रोमिस किया था कि जो भी करेंगे वो शादी के बाद करेंगे, अगर तुम खुशबू होती तो तुम्हें प्रोमिस याद होता। ‘मतलब तुमने सब कुछ जानते हुये जानबूझ कर वो सब मेरे 

साथ किया मैंने पूछा। ‘तो हर्ज़ क्या है, तुम भी तो मेरी साली हो, आधी घर वाली हो, थोड़ा बहुत हक़ तो तुम पर भी बनता है।’ कह कर वो हंस दिया।

उसके बाद मैं अपने घर आ गई, बेशक उसके बाद हमें ऐसा कोई मौका नहीं मिला, और मैंने देखा कि खुशबू भी हम दोनों को लेकर ज़्यादा ही अलर्ट हो गई है, शायद उसको अमित ने बता दिया या उसे ही शक हो गया। मगर न जाने क्यों मैं भी अमित से प्यार करने लगी,

 मैं चाहती थी कि अमित खुशबू को छोड़ कर मेरे से प्यार करे, जब भी मौका मिलता तो मैं अमित से खूब हंसी मज़ाक और फ्लर्ट करती, मगर खुशबू हम पे बहुत नज़र रखती।

वक़्त बीतता गया, अमित को बहुत अच्छी जॉब मिल गई, नौकरी मिलते ही अमित और खुशबू की शादी भी हो गई। मगर मैं जानती हूँ कि दोनों की शादी में सबसे ज़्यादा दुखी मैं थी। मगर खुशबू की शादी के बाद हमारी प्रेम कहानी भी चल निकली।

 जीजू जब भी हमारे घर आते किसी न किसी बहाने से मुझसे अकेले ज़रूर मिलते और उन लम्हों में वो अक्सर मुझे चूम लेते, मुझे बाहों में भर लेते, कभी कभी तो बूब्स भी दबा देते, मैं मना करती तो कहते- कौन सा पहली बार दबा रहा हूँ, उस दिन सिनेमा में भी तो दबाये थे।

मैं भी हंस कर टाल देती, मगर इससे जीजू की हिम्मत और बढ़ती गई, और फिर तो मौका मिलते ही वो मेरे चूतड़ सहलाने और मेरी gand को छूने तक जाने लगे। क्योंकि मैं भी जीजू से प्यार करती थी तो मैंने कभी कोई सख्त विरोध नहीं किया। सच 

कहूँ तो मैं खुद उनसे सेक्स करना चाहती थी। क्योंकि मैं दिल से अमित से प्यार करती थी, इसलिए मैंने कभी किसी लड़के को अपने पास नहीं आने दिया था

फिर खुशबू प्रेग्नेंट हो गई, उन्हीं दिनों एक बहुत बड़ी बात हो गई, हुआ यूं कि एक दिन मम्मी पापा किसी के कीर्तन पे गए थे, दीदी अपने कमरे में आराम कर रही थी और मैं किचन में कुछ खा  रही थी 

, तभी अमित जीजू किचन में आए और न जाने क्या हुआ, बातें करते करते उन्होंने मुझे   बाहों में भर लिया, मुझे थोड़ा अजीब लगा, मगर बुरा नहीं लगा।

बाहों में भरने तक तो ठीक था, मगर मैंने महसूस किया के जीजू तो से अपना लिंग मेरे हिप्स की दरार से सटा कर धीरे धीरे से घिसा रहे थे। 

मुझे बड़ी झुरझुरी सी हुई अपने सारे बदन में! क्योंकि मैं महसूस कर रही थी कि जो नर्म सी चीज़ पहले मेरे हिप्स के साथ लगी थी वो अब नर्म से सख्त होती जा रही थी और उसका साइज़ भी बढ़ रहा था। 

 ! मैंने जीजू को हटाने के लिए कहा- क्या करते हो जीजू, पीछे हट कर खड़े हो। ‘क्यों, क्या मैं अपनी बीवी के साथ सट कर खड़ा नहीं हो सकता?’ जीजू ने मेरी कमर के गिर्द अपनी बाहों का घेरा और टाईट कर दिया और अपना लिंग और अच्छी तरह से मेरे हिप्स के बीच में सेट कर दिया।

सच कहूँ तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था एक मोटा लंबा लिंग मेरे हिप्स के बीचों बीच था, उस वक़्त मैंने सिर्फ एक टी शर्ट पहनी थी, andar ब्रा  और एक लोअर पहना था मगर panty नहीं पहनी थी। इसलिए जीजू के बदन का उनके लंड का स्पर्श मैं बहुत अच्छे से महसूस कर रही थी।

मेरी तरफ से कोई खास विरोध न देख कर जीजू ने मेरी कमर से अपनी बाहों का घेरा ढीला किया और अपने दोनों हाथों में मेरे दोनों बूब्स पकड़ लिए।

मैं तो एकदम से घबरा गई- अई… जीजू, क्या कर रहे हो? मगर वो तो शायद सेक्स में डूब चुके थे, 

मैंतो एकदम से घबरा गई- अई… जीजू, क्या कर रहे हो? मगर वो तो शायद सेक्स में डूब चुके थे

, उन्होंने अपना t-shirt utar , अपना तना हुआ लंड बाहर निकाला और मेरी दोनों टाँगों के बीच में घुसा दिया

 मैंने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी, मैं तो छिटक कर एक दम से दूर जा खड़ी हुई- जीजू आपका दिमाग खराब हो गया है, यह क्या कर रहे हो? मैंने अपना गुस्सा ज़ाहिर किया।

मगर उन पर तो कोई असर ही नहीं था, उन्होंने मेरे सामने ही किचन अपना लोअर और टी शर्ट उतार दिये और मेरे सामने बिल्कुल नंगे हो गए- सच कहता हूँ Anjali, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ, प्लीज़ लव मी, मैं तुम्हें बहुत प्यार करूंगा, बड़े अच्छे से चोदूँगा, लव मी डियर!

मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार किसी मर्द को बिल्कुल नंगा देखा था, मैं तो सुन्न हो गई, मेरे मुख से कोई आवाज़ नहीं निकल रही थी

। जीजू मेरे पास आए, मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वापिस वहीं खड़ा कर दिया, जहां गैस के पास मैं नाश्ता बना रही थी। मेरा दिल बड़े ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था

, समझ मे नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ, क्या कहूँ, बेशक मैं अमित से बहुत प्यार करती थी, मगर ऐसे एकदम से उसके साथ सेक्स करना, मैं कोई फैसला नहीं ले पा रही थी, कि इस अवसर को जाने दूँ या पकड़ लूँ।

मैं गैस के पास चुपचाप से खड़ी थी तो जीजू ने फिर से आकार अपना लंड मेरे चूतड़ों पर घिसाया। मैंने कुछ नहीं कहा तो जीजू ने मेरा लोअर को पकड़ के थोड़ा सा नीचे को किया

, मैं फिर भी शांत खड़ी रही तो जीजू ने धीरे धीरे मेरे रीएक्शन को देखते हुए, मेरा लोअर घुटने तक नीचे उतार दिया, मेरी टी शर्ट थोड़ी सी ऊपर उठाई और अबकि बार अपना नंगा लंड मेरे 

नंगे चूतड़ों की दरार से लगा दिया। मुझे बहुत ही अजब सा एहसास हुआ, जब मैंने अपने चूतड़ थोड़े से भींचे तो उनका लंड मेरे हिप्स की दरार में फंस गया। 

जीजू ने मेरी जांघ पे हाथ फेरते हुए नीचे घुटने तक ले गए और मेरा घुटना मोड़ कर ऊपर उठाया और किचन के शेल्फ पे रख दिया और मुझे थोड़ा सा आगे को धकेल दिया।

 उसके बाद अपने लंड को नीचे से मेरी gand पे सेट किया और आगे को धकेला। मेरी gand तो पहले ही शर्म से पानी पानी हुई पड़ी थी, सो उनके लंड का अगला गुलाबी हिस्सा मेरी gand में 

जैसे ही अंदर को घुसा, मेरे सारे बदन में दर्द की एक लहर दौड़ गई, मैं उचक के ऊपर को उठ गई और उनका लंड मेरी gand में घुसने से पहले ही बाहर निकल गया।‘क्या हुआ, पहले कभी किया नहीं क्या?

’ जीजू ने पूछा। मैंने ना में सर हिलाया। ‘तब तो तुम्हारे साथ बड़े आराम से और प्यार से करना पड़ेगा… क्या तुम मेरा साथ दोगी?’ कह कर जीजू ने अपना लंड मेरी दोनों जांघों के बीच में ही घुसा दिया जो आगे से ठीक मेरी gandके नीचे से सामने को निकल आया।

वो पीछे से अपनी कमर आगे पीछे हिला रहे थे और उनके लंड का गुलाबी टोपा मेरी चूत के होंठों को सहलाता हुआ कभी बाहर आता तो कभी छुप जाता। जीजू ने अपने दोनों हाथ मेरी bra में डाल लिए और मेरे दोनों बूब्स को पकड़ कर सहलाया, दबाया, और उनके निप्पलों को भी मसला।

सच में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था। मैंने अपना सिर पीछे को गिरा दिया जो जीजू के कंधे पे जा टिका। जीजू ने एक हाथ से मेरा चेहरा अपनी तरफ घुमाया और मेरे दोनों होंठ अपने होंठ में लेकर चूसने लगे। मैंने आँखें बंद कर ली और इस हसीन लम्हे का भरपूर मज़ा लेने लगी।

जीजू ने अपने दायें हाथ की बीच वाली वाली उंगली से मेरी gand  के दाने को सहलाया। ‘उफ़्फ़…’ क्या मज़ा आ रहा था। जीजू ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और इस बार अपना तना हुआ लंड मेरे 

दोनों हाथों में पकड़ा दिया। मैं उनके लंड को सहलाने लगी। जीजू ने मुझे कमर से उठा कर ऊपर शेल्फ पर ही बैठा दिया और मेरा लोअर उतार फेंका। मेरी दोनों टाँगे चौड़ी की और अपना लंड फिर से मेरी gandपे रख दिया। इस बारहमारा पोज़ बिल्कुल सही था, 

जब उन्होंने अपना लंड अंदर धकेला तो बिना किसी रोक टोक उनके लंड का गुलाबी टोपा मेरे अंदर घुस गया। मेरे मुख से हल्की सी एक चीख निकली मगर मैंने उसे अपने मुंह में ही दबा लिया। जीजू ने और ज़ोर लगाया और ज़ोर ज़ोर से धकेल कर अपना सारा लंड मेरे अंदर डाल दिया

। मुझे ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने मुझे बीच में से चीर दिया हो। मगर जीजू पर तो जैसे नशा छाया था, वो बार अपना लंड बाहर निकाल रहे थे और फिर से अंदर डाल रहे थे। जहाँ उनके इस काम से मुझे दर्द हो रहा था, वही अपने पहले सेक्स का आनन्द भी आ रहा था।

जीजू करते रहे, करते रहे, और फिर काफी देर बाद मेरे अंदर अपना गर्म गाढ़ा वीर्य छोड़ दिया, जो मेरी छोटी सी gand से टपक कर बाहर शेल्फ पे गिर रहा था। जीजू ने मेरे होंठों को किस किया, मैंने भी उनका पूरा साथ दिया- जानेमन, अब तुम ladke 

से ladki  बन गई हो, लड़की से औरत बन गई हो, जवानी का 

कह कर वो पलटे अपने कपड़े पहने और मुझे किचन की शेल्फ पर वैसे ही bra panty बैठी छोड़ कर बाहर चले गए। 2-3 मिनट बैठी मैं सोचती रही, यह आज क्या हुआ,

 क्या सही हुआ या गलत हुआ। फिर मैंने उठ कर अपने कपड़े पहने, शेल्फ से जीजू का वीर्य साफ किया, अपने हाथ धोकर नाश्ता बनाया, सबको दिया, जीजू को भी दिया, मगर उनके चेहरे पे एक विजयी मुस्कान थी।

 बाद में उन्होंने मुझे बताया- जानती हो एक ही लड़की का दो बार कौमार्य भंग करने का कैसा मज़ा आता है, जैसे तुम्हें और खुशबू को चोद कर मुझे मिला है । 

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