जीजू आनन्द के साथ रंगरेलियां मना सकूं Jija sali

 नमस्कार दोस्तो


Desi story


मैं आपकी सखी प्रकृति शांडिल्य, मैं लखनऊ में रहती हूं, एमबीए कर रही हूं और 24 साल की हूं।


यह कहानी राजनगर नाम के शहर की है।


मुझे उम्मीद है कि आप इसका पहला भाग


बहन की खातिर उसके मंगेतर से चुद गयी


पढ़ चुके होंगे।



यह कहानी बताएगी कि कैसे वसुंधरा नाम की स्त्री अपनी भावनाओं और हालातों के चलते अपनी कामवासना की पूर्ति के सफर पर चल पड़ती है।


तो चलिए शुरू करते हैं।


मेरा नाम वसुंधरा है, मेरा परिचय आप मेरी पिछली कहानी से जान चुके हैं.

शादी की शुरुआत में तो सब ठीक रहा. मेरे पति (जो पहले मेरे जीजा थे) मेरे साथ भरपूर जोश से सेक्स करते थे लेकिन कुछ साल बाद ही उन पर उम्र हावी होने लगी और उनके अंदर सेक्स की चाहत कम हो गई थी लेकिन मेरी जवानी अभी उफान पर थी इसलिए मैं सेक्स के लिए लालायित रहती थी और नए नए तौर तरीके अपनाने से पीछे नहीं हटती थी।


मेरे पति और मेरी बहन की एक बच्ची है चारु, मैं उसकी मां और सहेली दोनों ही हूं।


वो भी अब धीरे धीरे जवानी की दहलीज पर कदम रख रही है, मैं जल्दी ही उसके भी रंगीन किस्से आपके सामने लाऊंगी।



मेरे पति विकास एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते हैं और समय समय पर उनको कंपनी की तरफ से टूर पर जाना पड़ता है।

मेरी पिछली कहानी में आपने जाना कि कैसे मैं अपने छोटी बहन के पति आनन्द के साथ सेक्स कर बैठी.


यह पहली बार था जब मेरे पति के अलावा किसी गैर मर्द ने मेरा जिस्म भोगा हो।


अब मैं पहले से ज्यादा उत्तेजक हो गई थी और मेरा अंदाज भी बदल गया था.


मुझमें शर्म ओ हया जरा कम हो गई थी और अब पुरुषों की अश्लील नजरें मुझे डराने की जगह उत्तेजित करती थी।


मेरी नजरें अब पराए मर्दों की तरफ जाना शुरू हो गई थी।


महीने में एक दो बार आनन्द मेरी प्यास बुझाते थे लेकिन अब मेरा मन किसी और मर्द के नीचे आने को लालायित हो रहा था।


मेरे पति विकास मेरी अदाओं से खुश रहते थे और मैं उनके साथ ज्यादा खुलकर संभोग करती थी।


लेकिन उनको कंपनी की वजह से अक्सर बाहर ही रहना पड़ता था और कभी कभी विदेश भी जाना पड़ता था इसलिए मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए कुछ अलग तौर तरीके खोजने पड़े।


यह कहानी मेरी छोटी बहन रागिनी की शादी के 3 महीने बाद की है।


शादी के बाद रागिनी अपनी ससुराल में खुश थी।


उसके पति यानि की आनन्द जीजू एक बड़े डॉक्टर थे और राजनगर में एक नामी अस्पताल के मालिक थे।


शादी के बाद हमारी चैट और बातें होती तो वे मुझे बताते कि कैसे वे रागिनी के साथ मजे कर रहे हैं और मैं मन में कल्पनाएं करके सुख का अनुभव करती।


रागिनी की शादी को 3 माह हो गए थे और मैं आनन्द से अभी तक नहीं चुद पाई थी।


आनन्द तो चाहते ही थे कि वे मुझे चोदें और उनसे ज्यादा मेरी इच्छा थी क्यूंकि अब मुझे गैर मर्द से चुदने का चस्का लग गया था।


आजकल मेरे पति विकास यहीं पर थे इसलिए मैं न ही आनन्द को घर बुला सकती थी और न ही उनके साथ होटल जा सकती थी।


मैं सोच ही रही थी कि क्या करूं कि मैं अपने जीजू आनन्द के साथ रंगरेलियां मना सकूं।

यही सोचकर मैं जरा व्याकुल थी।



विकास मुझे चोदते तो थे लेकिन मेरा दिल कहीं न कहीं किसी और मर्द का प्यार पाने का करता था।


एक रात मैं विकास की बाहों में नंग धड़ंग पसरी हुई थी, चुदाई के बाद अक्सर हम इसी हालत में सोते थे।


बीच रात में मेरी नींद खुली तो देखा कि विकास मजे से सो रहे हैं और उनके हाथ मेरे बदन को जकड़े हुए हैं।

उनका नर्म लिंग मेरे नितम्बों से सटा हुआ था और मैं पीठ उनकी तरफ किए उनकी बाहों मे पसरी हुई थी।


मुझे नींद नहीं आ रही थी शायद इसलिए क्योंकि अगले दिन सन्डे था और मुझे कॉलेज पढ़ाने के लिए भी नहीं जाना था।


मैंने विकास के लिंग पर हाथ फेरा और हौले हौले उसे सहलाने लगी।


विकास का लिंग जरा सा कड़ा हुआ तो उनकी नींद खुली।


उन्होंने मेरी हरकत पर गौर किया और पूछा- क्या हुआ डार्लिंग, दो बार से दिल नहीं भरा क्या?


मैं- मुझे नींद नहीं आ रही है, प्लीज कुछ करिए ना!


विकास- डार्लिंग, मैं थका हुआ हूं और हम दो बार कर चुके हैं ना!


मैं- प्लीज एक बार और कर दीजिए, मेरी चूत पानी छोड़ रही है।


मेरी यह भाषा सुनकर विकास मुस्कुराए और मेरी चूत पर चपत लगाते हुए कहा- तुम्हारी मुनिया को कितना भी चोद लूं लेकिन ये इतनी बेशर्म है कि हर बार चुदाई की भूखी रहती है।


मैं- आह, अब आपको जब पता है तो अपना बैंगन क्यों दूर किए हो? मेरी मुनिया भूखी है।


विकास ने मेरी मुनिया में लंड घुसेड़ दिया तो मेरे मुंह से सिसकारी निकल पड़ी- आह उफ्फ … विकास आह … इसी तरह करो … हाय मर गई … मेरी चूत … उफ्फ और चोदो इसे!

यूं बेशर्मी में बड़बड़ाती मैं अपनी ठुकाई का मजा ले रही थी।


5-7 मिनट बाद ही विकास मेरी चूत में झड़ गए।


इस चुदाई से वो तो संतुष्ट हो गए थे लेकिन मेरी वासना की चिंगारी अभी भी जल रही थी।


मैंने उनसे कुछ नहीं कहा और चूत साफ कर के लेट गई.

विकास सो गए और मैं रात भर करवटें बदलते हुए बेड पे पड़ी रही।


अचानक मुझे एक आइडिया आया।



मैंने रात भर उस पर विचार किया और फिर अगले दिन उसे लागू करने का प्लान बना लिया।


अगले दिन मैंने पेट दर्द का बहाना बनाया।


विकास ने कहा- किसी डॉक्टर को दिखा लो!


तो मैंने कहा- आनन्द जीजू के अस्पताल चलते हैं, वो जान पहचान के हैं इसलिए इलाज अच्छा करेंगे।

विकास को कोई दिक्कत नहीं हुई।


वे तैयार हुए और फिर हम दोनों कार से अस्पताल की तरफ चल दिए।


वहां पहुंचकर जब हम आनन्द के सामने आए तो आनन्द मुझे देखकर हैरान थे।


उन्होंने पूछ लिया- विकास भाई क्या हुआ, आज यहां अस्पताल में? सब खैरियत तो है?


मैंने कहा- नहीं आनन्द, मेरे पेट में कल रात से दर्द हो रहा है, पता नहीं क्या हुआ है, इसीलिए हम तुम्हारे पास आए हैं।


ये कहकर मैंने चुपके से उन्हें आंख मार दी।


आनन्द को मेरा इशारा समझते देर न लगी।


उन्होंने मेरी नब्ज टटोली और फिर पेट पर नाभि के पास हाथ रखकर दबाया।


थोड़ी देर बाद कहा- आपका अल्ट्रा साउंड करना पड़ेगा, ऐसे दिक्कत का पता नहीं चल रहा है।

मैंने विकास से कहा- आप ऑफिस हो आइए, मैं अल्ट्रासाउंड करवा कर घर चली जाऊंगी।


विकास ने कहा- ठीक है, तुम जैसा भी हो मुझे कॉल करना।


यह कहकर विकास निकल गए।


उनके जाते ही आनन्द ने मुझसे कहा- आज बिना बताए तुम यहां कैसे?


मैं- आप तो घर आओगे नहीं, इसीलिए मैंने सोचा कि क्यों न मैं ही आपके पास आ जाऊं।


आनन्द- लगता है कि उस रात की चुदाई अभी तक भूली नहीं हो।


मैं- अगर भूली होती तो भला यहां क्यों आती हॉस्पिटल सेक्स का मजा लेने?


आनन्द मेरी बात सुनकर मुस्कुराए और फिर मुझे अपनी टेबल के पास ले गए।


उनकी ऑफिस टेबल काफी बड़ी थी और सामने से ढकी हुई थी, अगल बगल सामान रखने के लिए खांचे बने हुए थे।


साथ ही उसका बीच का हिस्सा इतना बड़ा था कि कोई इंसान आराम से उसमें घुस कर बैठ सकता था।

उन्होंने मुझे टेबल के नीचे घुसा दिया और चेयर पर बैठ गए।


क्योंकि सामने से उस टेबल में लकड़ी लगी थी इसलिए कोई बाहर का व्यक्ति मुझे नहीं देख सकता था।


मैंने आनन्द की जांघों पर हाथ फेरा और फिर उनके लिंग के आसपास सहलाने लगी।


अपना मुंह मैंने उनकी पैंट पर सटा दिया और फिर उनकी जिप खोल दी, उनके अंडर वियर से उनका लिंग बाहर निकाल लिया और उसे अपनी जुबान से लॉलीपॉप जैसे चाटने लगी।


आनन्द को मेरी हरकतें मजा दे रही थी।


मैंने उनकी पैंट खिसका कर नीचे कर दी और फिर उनके लिंग को मुंह में भर लिया।


उनका लिंग मेरी हरकतों का जवाब उफना कर देता।


मेरे जुबान लगाते ही वो उफान लेता और फिर मेरे मुंह में समा जाता।


उनके लिंग पर प्री कम की चमक आ गई थी।


मुझे अपने लिंग की सेवा करते देख आनन्द बहुत खुश थे.

उन्होंने एक हाथ टेबल के नीचे डाला और फिर मेरे सर को पकड़ कर अपने लिंग को मेरे मुंह में भीतर तक घुसा दिया।



मेरे मुंह से खांसी सी निकल गई लेकिन मैंने अपना मुंह नहीं हटाया।


मेरा मुंह लार से भर गया और गाढ़ी लार मेरे मुंह से बाहर निकल गई।


इस तरह काफी देर तक आनन्द मुझसे मजे लेते रहे।

कुछ देर बाद वो मेरे मुंह में ही अपनी मलाई छोड़ कर झड़ गए और मैं उनकी मलाई चाट गई।


कुछ देर बाद मैं टेबल के नीचे से बाहर निकली और खुद का चेहरा साफ किया।


सेक्स की शरारत मेरे चेहरे पर साफ झलक रही थी।


आनन्द ने अपनी पैंट पहनी और अपनी सेक्रेटरी को फोन लगाया- हेलो नेहा, तुम अल्ट्रासाउंड मशीन रेडी कर दो, मुझे एक अल्ट्रासाउंड करना है. हां अभी अर्जेंट है!


मैंने कहा- मुझे कोई दिक्कत नहीं है आनन्द तो अल्ट्रा साउंड क्यों कर रहे हो?


आनन्द- परेशान मत हो, आज तुम्हें एक अलग ही मजा मिलेगा।

खैर आनन्द मुझे अपने साथ चेकअप रूम में ले गए और दरवाजा बंद कर दिया।


कमरे में नेहा भी थी।



मैंने आनन्द की तरफ शंका से देखा तो आनन्द बोले- डरो मत साली साहिबा, मैं इसकी भी ले चुका हूं कई बार!


ये कहकर उन्होंने ठहाका लगाया तो नेहा भी शर्मा गई।

फिर मुझे कपड़े उतारने को कहा।


नेहा ने मेरी मदद की और मैंने कपड़े उतार दिए।


अब मैं नंगी हो कर स्ट्रेचर पर पड़ी थी।


आनन्द ने नेहा से लुब्रिकेंट मांगा और मेरे स्तनों और मेरी नाभि के आसपास छिड़क दिया।

फिर उन्होंने मेरे जिस्म का अल्ट्रा साउंड शुरू किया।



वो मशीन को मेरी कमर पर फेर रहे थे और मोनिटर पर मेरे जिस्म की संरचना झलकने लगी थी।


इसके बाद नेहा ने अपनी फ्रॉक निकाल दी और आनन्द ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए।


नेहा ने मेरे स्तनों पर पहले तो चपत लगाई और फिर उनके निप्पलों को पकड़ कर उमेठ दिया तो मैं कराह उठी।


नेहा- सर, आपकी साली तो बहुत मस्त माल है, आज इसे दिखा ही दीजिए कि अल्ट्रा साउंड कैसे होता है।


आनन्द उसकी बात सुनकर हंसे और फिर मेरी नाभि के नीचे मशीन का हैंडल फेरने लगे।

मेरी बच्चेदानी अब मोनिटर पर झलकने लगी।



तब तक नेहा आनन्द के पास जाकर घुटनों पर बैठ गई और फिर उसके लिंग को अपने मुंह से तर करने लगी।


आनन्द का पूरा ध्यान मेरे जिस्म पर था और वो नेहा के इस काम पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रहे थे।


कुछ देर बाद उनका लिंग खड़ा हो गया तो नेहा ने उसे पकड़ कर मेरी योनि पर रख दिया।


आनन्द ने एक धक्का लगाया तो वो पूरा लिंग सरसरता हुआ मेरी चूत में दाखिल हो गया।

ये हरकत मोनिटर पर साफ दिख रही थी कि कैसे उनका लिंग मेरी योनि में जगह बना रहा है।


आनन्द अपनी कमर हिलाने लगे और उनके लिंग की हलचल मोनिटर पर दिखने लगी।


मैं अपनी ही चुदाई का लाइव टेलीकास्ट देख रही थी।


आनन्द लगातार धक्के लगाए जा रहे थे और करीब 20 मिनट बाद वो मेरी चूत में झड़ गए।

मोनिटर पर दिख रहा था कि कैसे उनकी पिचकारी, वीर्य का फव्वारा मेरी योनि में छोड़ रही है।


मेरी चूत मारने के बाद उन्होंने अपना लिंग निकाला तो नेहा ने अपने होंठ मेरी योनि पर टिका दिए और कुतिया की तरह सारा वीर्य चाट गई और फिर मेरे पास आकर मुझे किस करने लगी।


उसके होंठों से विकास के वीर्य की खुशबू आ रही थी।


मैंने भी उसका बखूबी साथ निभाया और अपने प्रियतम जीजू का वीर्य नेहा के मुंह से ले लिया।


इसके बाद हमने कपड़े पहन लिए और फिर मैं अपने घर वापस आ गई।


रात को विकास वापस आए तो उन्होंने पूछा- डॉक्टर ने क्या बताया?


तो मैंने बहाना बना दिया- रिपोर्ट्स नॉर्मल है. सिर्फ गैस की दिक्कत थी तो वो भी ठीक हो गई है।


फिर हमारी जिंदगी सामान्य पति पत्नी जैसी चलने लगी।



प्रिय पाठको, आपको मेरी हॉस्पिटल सेक्स कहानी में बहुत मजा आया होगा, ऐसा मैं मानती हूँ.

अपने विचार बताएं.




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