मेरी चूत की सील का टूटना और बेइंतहा दर्द Frist Time

मेरी चूत की सील का टूटना और बेइंतहा दर्द Frist Time

Desi Story



 नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मधु है और वर्तमान में मेरी उम्र 46 साल की है.

मैं अपनी जो कहानी बताने जा रही हूं, वो आज से लगभग 27 साल पुरानी है.

उस वक्त मैं 19 साल की थी.

अभी तो मैं लखनऊ में रह रही हूं मगर शादी के पहले मैं एक छोटे से गांव में रहा करती थी.

जिंदगी में कोई भी व्यक्ति अपनी पहली चुदाई को कभी नहीं भूल सकता … चाहे वो मर्द हो या औरत.

वैसा ही मेरा भी हाल है. चाहकर भी मैं अपनी पहली चुदाई कभी नहीं भूल पाती.

वो मेरी चूत की सील का टूटना और बेइंतहा दर्द, आज भी मुझे अच्छे से याद है.

जब मैं 22 साल की थी, 

तब मेरी शादी हुई थी. 

मगर उससे पहले मैंने चुदाई का इतना मजा लिया था कि शायद ही शादी के बाद वैसा मजा मिला हो.

शादी के बाद मैं लखनऊ में अपनी ससुराल में आ गई.

आज आप मेरी जिंदगी के उस हिस्से में चलिए, जब मैं गांव में अपने माता पिता के साथ रहा करती थी.

मेरे घर पर मेरे माता-पिता, मेरा बड़ा भाई, मेरी भाभी और मैं रहा करते थे.

मेरे पिता और भाई दोनों खेती का काम किया करते थे.

गांव में हम लोग काफी संपन्न लोगों में से थे.

मेरे भाई ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे मगर मेरी पढ़ाई के प्रति रुचि देख घर के लोग मुझे आगे पढ़ाना चाहते थे.

गांव में मेरी कुछ ही सहेलियां थीं, जिनकी पढ़ाई जारी थी.

हमारे गांव में केवल 10 वीं तक की शिक्षा के लिए स्कूल था. आगे की पढ़ाई के लिए हमें दूसरे गांव जाना पड़ता था, जो 5 किलोमीटर दूर था.

जब मैं 10 वीं में थी, तभी से मेरा बदन काफी भर गया था और गदराया हुआ दिखने लगा था.

उस समय मेरी चढ़ती जवानी के दीवाने मेरे पीछे लाइन लगा कर खड़े रहते थे.

गांव में जब मैं निकलती, तो चाहे मेरी उम्र के लड़के हों या शादीशुदा अधेड़ उम्र के आदमी हों, सभी की निगाह मेरे तने हुए बड़े बड़े चूचों पर … और मेरी उभरी हुई गांड पर टिक जाती थी.

123

मैं भी उस समय तक सब जानने समझने लगी थी कि वो लोग ऐसा क्या देखते थे.

औरत मर्द के बीच क्या संबंध बनाए जाते हैं, इन सबकी जानकारी मुझे हो गई थी.

घर में मेरे कमरे के बगल में ही मेरे भइया भाभी का कमरा था और अक्सर रात में मेरी भाभी की जोश से भरी हुई आहें मुझे सुनाई दिया करती थीं.

मेरे और भाभी के बीच हंसी मजाक चलता रहता था और उनके द्वारा ही मुझे काफी कुछ सीखने और जानने को मिला था.

उसके अलावा भी मेरी कुछ सहेलियां थीं, जिन्होंने चुदाई का खेल खेला हुआ था.

उनके द्वारा भी मुझे सब पता चलता रहता था.

रात में अक्सर मेरे दोनों हाथ मेरी चूत को सहलाया करते क्योंकि कहीं न कहीं अब मुझे भी किसी साथी की जरूरत महसूस होने लगी थी.

मैं दिखने में काफी सुंदर गोरी और भरे बदन की लड़की थी.

गांव के कई लड़के मेरे दीवाने थे मगर मुझे कोई पसंद नहीं आता था और गांव में जो मुझे अच्छा लगता था, उसकी शादी हो चुकी थी.


123

उसकी शादी हो जाने के बाद भी वो मुझे तिरछी नजरों से देखा करता था.

उस वक्त मैं अन्दर तक कामुक हो जाती थी और मेरी चूतमें चींटियां रेंगने लगती थीं.

उम्र में वो मुझसे करीब 15 साल बड़ा जरूर था मगर मन ही मन में वो मुझे काफी पसंद था.

उसका नाम किशोर था.

एक बार की बात है. वो होली का दिन था और हम सब सहेलियां होली खेलने के बाद नदी में नहाने के लिए गई हुई थीं.

हम लोगों ने थोड़ी बहुत भांग भी पी हुई थी. सब मस्ती कर रही थीं.

नदी में नहाने के बाद मेरी बाकी सहेलियां तो अपने घर चली गईं मगर मैं और मेरी एक अन्य सहेली ने कुछ और देर तक नदी में रुकने का मन बनाया.

नहाने के बाद हम दोनों वैसे ही गीले और भीगे हुए कपड़ों में नदी के किनारे रेत पर लेट गईं.

हमारे गीले कपड़े बदन से कुछ ऐसे चिपके हुए थे कि अन्दर का हर एक अंग साफ साफ झलक रहा था.

वैसे ही लेटे लेटे हम दोनों की आंख लग गई.

कुछ समय बाद अचानक से मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि मेरे सामने किशोर खड़ा हुआ था और मेरे बदन को निहार रहा था.


123

मैंने जल्दी से अपनी सहेली को उठाया और हम दोनों वहां से वापस घर की तरफ चल दिए.

आधे रास्ते पर मुझे याद आया कि मैं अपने सूखे कपड़े वहीं भूल आई थी.

मैंने अपनी सहेली को साथ चलने के लिए कहा, मगर वो नहीं गई.

मैं अकेली वापस नदी पर गई और देखा कि किशोर नहा रहा था.

मुझे दूर से ही देखकर वो नदी से निकल कर बाहर आ गया.

उस वक्त उसने केवल एक चड्डी पहनी हुई थी.

मेरी तिरछी नजर चड्डी में उसके तने हुए लंड पर जा रही थी.

मैंने चुपचाप अपने कपड़े उठाए और आने लगी.

तभी किशोर की आवाज आई- अरे कोई हमारे साथ भी तो नहा ले.

मैंने अपनी गर्दन पीछे की तरफ घुमाई और मुस्कुराते हुए उसे देखा और वहां से भाग आई.

शायद मेरे मुस्कुराने का ही असर था कि अब वो रोज मेरे घर के आसपास चक्कर लगाने लगा और मेरे स्कूल के समय भी रास्ते में मुझे देखता और मुस्कुरा देता.

कभी कभी मेरे चेहरे पर भी हल्की मुस्कान आ जाती.

इसी तरह मैंने अपने गांव के स्कूल से 10वीं पास कर ली और अब मुझे आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाना था.

मैं और मेरी दो सहेलियां हम तीन लड़कियां ही वहां जाती थीं.

स्कूल के रास्ते में ही गांव से कुछ दूरी पर किशोर का खेत पड़ता था और वो रोज आते और जाते समय मुझे निहारने लगा.

123

मेरे साथ मेरी सहेलियां रहती थीं इसलिए वो कुछ कह नहीं पाता था.

मगर एक दिन उसे वो मौका मिल गया.

मेरी दोनों सहेलियां उस दिन स्कूल नहीं गईं और मैं अकेली ही स्कूल गई थी.

हम लोग पैदल ही स्कूल जाते थे और गांव के बाद जब खेत का इलाका खत्म होता था, तो थोड़ा सा जंगल पड़ता था.

उस दिन किशोर ने मुझे अकेले स्कूल जाते हुए देख लिया था और जब मैं स्कूल से वापस आ रही थी तो मैंने देखा कि जंगल में किशोर बीच रास्ते में अपनी साइकल लेकर खड़ा था.

उसे देखकर मेरी चाल थोड़ी धीमी पड़ गई.

मैंने पीछे पलट कर देखा दूर दूर तक कोई नहीं था.

मैं समझ गई कि वो आज मुझे कुछ न कुछ जरूर बोलने वाला है.

मैं जब उसके पास पहुंची और उसके बगल से निकलने लगी तो अचानक से उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे रुकने के लिए कहा.

मेरे कदम वहीं थम गए, शायद मेरे कदम इसलिए रुके क्योंकि मैं भी उसे पसंद करने लगी थी.

मैं अपनी नजरें दूसरी तरफ किए हुई बोली- क्या है, मुझे ऐसे क्यो रोक लिया?

वो- तुमसे कुछ बात करनी है.

मैं- क्या बात?

123

वो- मैं तुम्हें पसंद करता हूँ, बस यही बताने के लिए तुम्हें रोका है. अगर तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए कुछ है, तो अपना जवाब देना … नहीं तो मैं दुबारा तुम्हें परेशान नहीं करूंगा.

मैं- मगर तुम शादीशुदा हो और मुझसे इतने बड़े भी हो. किसी को पता चलेगा तो पूरे गांव में बदनामी हो जाएगी.

वो- मुझ पर विश्वास करो, ऐसा कुछ नहीं होगा. किसी को पता नहीं चलेगा. ये बात केवल हम दोनों तक ही रहेगी. फिर तुमसे ज्यादा डर तो मुझे है. मेरी पहले से ही बीवी बच्चे हैं.

मैंने उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा और अपना हाथ छुड़ाती हुई बोली- कल नदी के पास मिलना, तब मैं अपना जवाब बताऊंगी.

बस इतना कह कर मैं वहां से दौड़ती हुई भाग आई.

सारी रात मैं करवटें बदलती रही और उसकी बातों को सोचती रही कि क्या मैं सही कर रही हूँ या गलत.

मगर मेरी कुंवारी जवानी ने शायद मुझे बहका दिया और मैंने उसे हां करने का फैसला कर लिया.

अगले दिन स्कूल की छुट्टी थी और मैं घर पर ही थी.

घर के काम से फुर्सत होकर दोपहर करीब 3 बजे मैं अकेली ही नदी की तरफ चल दी.

किशोर पहले से ही वहां मौजूद था.

उस वक्त नदी के आसपास कोई भी नजर नहीं आ रहा था.

मुझे देखते ही किशोर मेरे पास आ गया और बोला- बताओ क्या सोचा तुमने?

मैं- सोचना क्या है, तुम भी मुझे पसंद हो … मगर ये बात कभी किसी को पता नहीं चलनी चाहिए.

वो- कभी नहीं चलेगी. मैं कभी किसी को नहीं बताऊंगा.

इतने में ही हमें किसी की आहट सुनाई दी.

किशोर ने झट से मेरा हाथ पकड़ा और मुझे नदी के किनारे टीले के बीच ले गया.

टीले के बीच एक दरार थी.

123

वहीं झाड़ियों में हम दोनों छुप गए. हमें वहां कोई नहीं देख सकता था.

उस वक्त किशोर मुझे अपने सीने से लगाए हुए था क्योंकि वो जगह काफी संकरी थी.

मैं भी किशोर से चिपकी हुई थी.

मेरे उभरे हुए दोनों दूध उसके सीने पर दबे जा रहे थे, मेरी सांस काफी तेज रफ्तार से चल रही थी.

हम दोनों बिल्कुल शांत होकर एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे.

मुझे काफी डर भी लग रहा था कि कहीं कोई देख न ले.

किशोर का चेहरा मेरे चेहरे के पास आता गया और ऐसे ही करते हुए उसने मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

वो मेरी जिंदगी का पहला चुम्बन था.

मेरे हाथ भी किशोर के बालों पर चलने लगे.

हम दोनों के बदन एक दूसरे से चिपक गए.

मेरे पेट के पास कुछ कठोर सा चीज चुभ रहा था. मैंने ध्यान दिया तो वो किशोर का तना हुआ लंड था.

मैंने कभी भी किसी मर्द का लंड नहीं देखा था.

123

उस वक्त भी उसका लंड उसके पैंट के अन्दर था, बस उसके पेट से छूने से लंड का अहसास हो रहा था.

देखते ही देखते किशोर का एक हाथ मेरी कमर से होता हुआ मेरे पिछवाड़े तक चला गया और वो मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा.

मैंने तुरंत ही उसका हाथ पकड़ कर अलग कर दिया और उससे अलग हो गई.

मैं उस वक्त वो सब नहीं करना चाहती थी और उसने भी इस बात को समझते हुए कुछ नहीं किया.

उसके बाद कुछ समय बाद जब वहां कोई नहीं था तो हम लोग अपने अपने घर की तरफ चल दिए.

रात भर मेरे आंखों से नींद गायब थी और मैं अपने पहले चुम्बन के अहसास को याद करते हुए जागती रही.

किशोर मुझसे उम्र में 15 साल बड़ा होने के साथ साथ शादीशुदा मर्द था, मेरे तो अंकल जैसा था. 

और मैं अभी नई उम्र की गदराई हुई जवान लड़की थी.

उस दिन नदी के पास किशोर ने मेरे होंठों को चूमा था और मेरी गांड सहलाने लगा था. उसने में ही मैं उससे अपना हाथ छुड़ा कर अलग हो गई थी.

किशोर ने भी मेरी भावनाओं को समझा था और हम दोनों कुछ देर रुकने के बाद उधर से चले आए थे.

दोस्तो, मैं जबसे किशोर से मिलकर आई और जबसे उसने मुझे चूमा था, तब से उस वक्त को याद करते हुए मेरी चड्डी से पानी निकल जाया करता.

123

मेरी चड्डी दिन में कई बार अपने आप ही गीली हो जाती थी.

उस चुम्बन वाली घटना को काफी दिन हो गए थे मगर मुझे किशोर से मिलने का कोई मौका नहीं मिल रहा था.

स्कूल जाते समय भी मेरी सहेलियां साथ में होती थीं. स्कूल के रास्ते में ही उसका खेत पड़ता था, जहां पर हम दोनों एक दूसरे को देख लिया करते थे.

दिन ऐसे ही गुजर रहे थे और करीब एक महीने बाद मेरी दोनों सहेलियों ने कुछ दिन के लिए स्कूल से छुट्टी ले ली.

बस यही मौका मुझे मिल गया और मैंने एक खत के माध्यम से किशोर को बताया कि मैं स्कूल अकेली जाऊंगी, इसलिए रास्ते में मुझसे मिल लेना.

वो भी शायद ऐसे ही मौके के इंतजार में था.

अगले दिन मैं स्कूल के लिए तैयार हुई और घर से सुबह सुबह निकल गई.

गांव के बाहर रास्ते में किशोर अपनी साईकल लेकर खड़ा हुआ था, उसने मुझे अपनी साईकल पर बैठाया और अपने खेत की तरफ चल दिया.

उसके खेत में एक घर बना हुआ था और हम दोनों वहीं चले गए.

कमरे के अन्दर एक बिस्तर बिछा हुआ था और उस घर के आगे और पीछे दोनों तरफ दरवाजा था.

किशोर ने आगे की तरफ ताला लगा दिया और पीछे के दरवाजे से अन्दर आ गया.

ऐसा उसने इसलिए किया ताकि किसी को पता न चले कि हम लोग घर के अन्दर थे.

किशोर ने मुझसे मेरा स्कूल बैग लेकर किनारे रख दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपनी बांहों में खींच लिया.

मैं भी उसके सीने से चिपक गई और किशोर बिना रुके मेरे होंठों को चूमने लगा. 

मैं भी उसका साथ देते हुए अपनी जीभ निकालने लगी.

123

मुझे चूमते हुए उसने मेरी सलवार कमीज दोनों ही निकाल दीं और अपने भी कपड़े निकाल दिए.

मैं बस ब्रा और चड्डी में ही थी और किशोर भी केवल चड्डी में.

खड़े खड़े ही हम दोनों एक दूसरे के बदन से चिपक कर एक दूसरे को चूमते सहलाते रहे.

किशोर मेरी चड्डी के अन्दर हाथ डालकर मेरे बड़े बड़े चूतड़ों को सहलाता और दबाता जा रहा था.

मेरे उभरे और कठोर दूध किशोर के सीने से चिपक कर दबे जा रहे थे.

धीरे धीरे मैं गर्म होती जा रही थी और मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.

किशोर भी मुझे बेइंतहा चूमता जा रहा था.

आज मेरे अन्दर शर्म, जैसे बची ही नहीं थी. मैं अपने आप को किशोर को सौंप चुकी थी.

किशोर का लंड भी चड्डी के अन्दर तनकर खड़ा हो गया था और मेरे पेट में नाभि को सहला रहा था.

लंबाई में मैं किशोर से कम ही थी और किशोर मुझसे लंबा होने के साथ साथ काफी हट्टा-कट्टा मर्द था.

किशोर अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ, कमर के साथ साथ चूतड़ों को सहलाए जा रहा था.

फिर धीरे से उसने मेरी ब्रा के हुक को खोल दिया और मेरी ब्रा निकाल कर अलग कर दी.

मेरे दोनों दूध अब आजाद हो गए थे.

123

किशोर ने झुककर मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे दूध को अपने हाथों से सहलाते हुए हल्के हल्के दबाने लगा.

मुझे जिंदगी में पहली बार ऐसा मजा मिल रहा था.

मेरे मुँह से अपने आप ही आवाज निकलने लगी ‘ऊफ़्फ़ … ऊऊईई … उम्म … आह …’

उसके हाथों में मेरा एक दूध पूरी तरह से समा नहीं रहा था. उसके कठोर हाथों से दबते हुए मेरा दूध दर्द करने लगा और दूसरे दूध को वो अपनी खुरदरी जीभ से ऐसे चाट रहा था कि निप्पल बिल्कुल तन गया था.

मेरे गोरे गोरे दूध पर उसके मुँह की लार फैल गई थी.

उसने बारी बारी से दोनों निप्पल को बड़े प्यार से चूमते हुए दोनों ही चूचों को जमकर दबाया.

उसको शायद मेरे बड़े बड़े दूध ज्यादा ही पसंद आ रहे थे.

मैं भी उसके सर को अपने दोनों हाथों से जकड़ कर अपने दूध पर दबाती जा रही थी.

मेरा पूरा बदन उसके चूमने से कांपने लगा था. मुझे बेइंतहा मजा आ रहा था.

पहली बार किसी मर्द का स्पर्श पाकर मेरा रोम रोम खिल उठा था.

मेरे जिस अंग पर उसका हाथ पड़ता, वहां के रोम अपने आप खड़े होते जा रहे थे.

उसे मेरे दूध चूमने और मसलने में इतना मजा आ रहा था और वो इतने जोश में आ गया था कि मेरी गांड पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच रहा था.

तभी उसने मुझे इतनी जोर से दबा लिया था कि मुझे दर्द होने लगा.

काफी देर तक वो मेरे दोनों मम्मों के साथ मजे लेता रहा.

123

मैं बहुत ज्यादा गर्म और जोश में आ गई थी. मेरी चड्डी आगे की तरफ से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.

आज इतने दिनों की मेरी मुराद पूरी हो रही थी. जिस चुदाई के बारे में मैं सोचा करती थी, आज वो मुझे मिलने वाली थी.

मेरा पहला अनुभव ही था मगर मेरे अन्दर की प्यासी औरत पूरी तरह से जाग उठी थी.

मैं इतनी गर्म हो गई थी कि पूरा कमरा मेरी कामुक आवाजों से गूंज रहा था.

करीब आधा घंटा तक मेरे मम्मे निचोड़ने के बाद किशोर ने मुझे अलग कर दिया.

उसने मुझे पास में बिछे बिस्तर पर लेटा दिया और तुरंत मेरे ऊपर चढ़ गया.

मेरे ऊपर आते ही उसने मेरी जांघों की तरफ से मुझे चूमना शुरू कर दिया.

मेरी मोटी मोटी चिकनी जांघों को सहलाते और चूमते हुए मेरी चड्डी के ऊपर से ही उसने मेरी चूत को चूमा और फिर मेरे पेट के पास आकर मेरी गहरी नाभि में अपना जीभ डालकर चूमने लगा.

मैं बिन पानी की मछली की तरह बिस्तर पर मचलती रही.

उसने मेरे पेट, कमर, दूध, मेरे गालों पर चुम्बन की झड़ी लगा दी.

123

उसके बाद वो मेरी चड्डी को अपने दोनों हाथों से नीचे की ओर सरकाने लगा.

अब मैंने अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया. उसने पहली बार मेरी चूत के दर्शन किए.

फिर अपना एक हाथ मेरी चुत पर रखकर उसे हल्के से सहलाया.

मैं अपना चेहरा ढके हुई थी और वो आगे बढ़ता गया.

उसने अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया.

मैंने ऐसा नहीं सोचा था कि वो ऐसा करेगा.

उसे बिल्कुल भी गंदा नहीं लग रहा था और उसके चूमने चाटने से मेरा मजा कई गुना बढ़ गया था.

मैं जैसे हवा में तैरने लगी थी.

जैसे जैसे वो मेरी चूत चाटता जा रहा था मेरी गांड अपने आप उछलने लगी थी.

कसम से दोस्तो, इतना मजा आ रहा था, जिसके बारे में मैंने न कभी सोचा था और न ही उस अनुभव को मैं शब्दों में बयान कर सकती हूं.

123

उसको मेरी चूत चाटते लगभग दस मिनट हो गए थे.

तभी मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा, मेरी आंखें अपने आप ही बंद हो गईं.

मैंने दोनों हाथों से चादर को कसके पकड़ लिया.

मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे शरीर में कुछ बड़ा होने वाला था.

पूरे शरीर में अन्दर से उथलपुथल मच गई थी.

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है.

मेरे शरीर को अकड़ता देख कर किशोर ने अपनी जीभ की रफ्तार तेज कर दी और तेजी से मेरी चूत को फैलाकर चाटने लगा.

अचानक से ही मेरे शरीर से लावा फूट पड़ा और पहली बार मैं झड़ गई.

ये मेरी जिंदगी का पहला मौका था, जब स्खलन का सुख मुझे मिला था.

रुक रुक कर मेरी चूत से धार निकलती रही और किशोर उस सारे पानी को चाटता गया.

कुछ समय के लिए मेरा पूरा शरीर शांत हो गया और मैं निढाल अवस्था में लेटी हुई थी.

किशोर मेरी चूत चाटता ही जा रहा था.

मुश्किल से 5 मिनट में ही मैं दुबारा गर्म हो गई थी और अब ऐसा लग रहा था कि किशोर जल्दी से मेरे अन्दर समा जाए.

123

मेरी भावनाओं को किशोर ने भांप लिया था.

वो सच में चुदाई का एक माहिर खिलाड़ी था.

उसने अपनी चड्डी निकाल दी और पहली बार मैंने किसी मर्द के लंड के दर्शन किए.

बिल्कुल काला मोटा और करीब 7 इंच लंबा किसी काले नाग की तरह उसका लंड मेरी आंखों के सामने लहरा रहा था.

किशोर ने अपने लंड को सहलाते हुए आगे पीछे किया और उसका बड़ा सा गहरे गुलाबी रंग का सुपारा बाहर निकल आया.

मैं बड़े गौर से उसके लंड को देखे जा रही थी.

उसने मेरे दोनों घुटनों को पकड़ा और मेरे पैर फैलाते हुए मेरे ऊपर लेट गया.

उसका लंड बिल्कुल मेरी चूत के ऊपर आ गया.

मैं किशोर से लंबाई में कम थी इसलिए मेरा चेहरा उसके सीने से चिपक गया.

किशोर ने अपने एक हाथ से लंड को चूत पर सैट किया और दोनों हाथों को मेरी पीठ के नीचे ले जाकर मुझे कसकर जकड़ लिया.

अब किशोर ने अपनी कमर से हल्का हल्का दवाब देना शुरू कर दिया था.

मुझे पूरा अहसास हो रहा था कि लंड का सुपारा मेरी चूत की लाइन को फैला रहा है और अब वो चूत के छेद के पास आ गया था.

उसके बाद जैसे ही सुपारा छेद में जाने को हुआ, मुझे ऐसा लगा जैसे कोई रेजर ब्लेड से मेरी चूत को खोल रहा हो. बड़ा अजीब सा दर्द हुआ.

किशोर बहुत ही आराम से लंड डाल रहा था.

123

धीरे धीरे मेरी चूत का छेद खुलना शुरू हो गया था.

जैसे ही सुपारा छेद में घुसा, मेरा दर्द बढ़ने लगा और मेरे पैर कांपने लगे.

किशोर भी जोर लगा रहा था मगर लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

फिर किशोर अपने सुपारे को ही अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ समय बाद जब मेरी चूत ज्यादा गीली हो गई, तब उसने मेरे कान में कहा- थोड़ा दर्द सहना मेरी जान … उसके बाद मजा ही मजा आएगा.

इतना कहने के बाद उसने मेरी पीठ दोनों हाथ से थाम ली और मुझे जकड़कर एक जोरदार धक्का लगा दिया.

‘ऊऊईई ईईईई मांआआ मर गईई …. उई ईईई …  फट गई … आह छोड़ दे मुझे … आह मुझे नहीं करना …’

इतना दर्द हो रहा था कि बयान करना मुश्किल है.

उधर उसका लंड चूत को चीरता हुआ मेरे अन्दर तक चला गया था.

चूत में लंड पूरी तरह से धंस गया था, हवा तक नहीं जा सकती थी.

मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया, मेरे दोनों पैर जोर जोर से कांपने लगे.

मैं रोये जा रही थी मगर किशोर ने लंड बाहर नहीं निकाला.

काफी समय तक वो लंड डाले हुए मेरे ऊपर लेटा रहा.

इसके बाद उसने हल्के हल्के आधा लंड बाहर निकाला और धीरे धीरे अन्दर कर दिया.

इस तरह उसने कई बार किया.

123

अब मेरा दर्द शांत होना शुरू हो गया और मेरी चूत वापस से पानी छोड़ने लगी.

उसने भी अपनी रफ्तार तेज करनी शुरू कर दी और मेरी चीखें कामुक आवाजों में बदल गईं.

मुझे अच्छा लगने लगा, किशोर ने भी मुझे ढीला छोड़ दिया.

उसने अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टिका लिए और धीरे धीरे मुझे चोदने लगा.

मेरी आंखें बंद होने लगीं और मैं चुदाई का मजा लेने लगी.

उसने झुककर मेरे होंठों को चूमा और बोला- अब मजा आ रहा है न?

मैंने अपना सर हिला कर आंख बंद किए हुए ही जबाव दिया- हां.

उसने रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी और जल्द ही पूरा पलंग जोर जोर से हिलने लगा.

मेरी चूत इतनी गीली हो गई थी कि बहुत ही गंदी आवाज निकलने लगी थी.

‘पछ पोछ पछ पछ फच फच फच …’

हम दोनों भी ‘आह आआआ आह आआह …’ की आवाज निकाल रहे थे.

मुझे मेरी पहली चुदाई का मजा और किशोर को मेरी कसी हुई चूत का मजा मिल रहा था.

करीब दस मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मेरा बदन फिर से वैसे ही अकड़ने लगा.

मैं समझ गई कि मैं झड़ने वाली हूँ.

मेरा सीना अपने आप ऊपर उठ गया और मेरा चेहरा ऊपर हो गया.

मैं झड़ गई.

123

कुछ धक्कों के बाद किशोर ने भी अपना गर्म गर्म वीर्य मेरे अन्दर ही निकाल दिया.

हम लोग काफी समय तक वैसे ही लेटे रहे थे. हम दोनों के बदन पसीने से भीग चुके थे.

फिर किशोर मुझसे अलग हुआ और बगल में लेट गया.

मैंने उसके लंड को देखा, तो उसमें चारों तरफ झाग ही झाग लगा हुआ था.

मैं उठी और अपनी चड्डी तलाश करने लगी.

मैंने भी बैठे बैठे अपनी चूत देखी, उसमें भी बहुत सारा झाग और उसमे हल्का खून लगा हुआ था.

मैंने अपनी चड्डी से चूत को साफ किया और जैसे ही मैंने अपनी चड्डी पहननी चाही, किशोर ने मेरा हाथ पकड़ लिया और लेटे लेटे ही मुझे अपनी बांहों में खींच लिया.

उसने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मेरी पीठ सहलाते हुए बोला- अभी इतनी जल्दी क्या है तुमको? 

आज तो स्कूल भी नहीं जाना है. अब तो शाम तक तुम मेरे पास ही रहोगी, फ़िर कपड़े पहनने की जरूरत क्या है?

ऐसा बोलते हुए उसने मेरे चूतड़ को दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया.

उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया और दोनों हाथों से मेरी गांड फैला कर अपनी एक उंगली से मेरी गांड के छेद को रगड़ने लगा.

123

उसके बाद वैसे ही मुझे अपने ऊपर लिटाए हुए अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी और हल्के हल्के अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ ही पल में मैं एक बार फिर से गर्म हो चुकी थी और उसका लंड भी दुबारा खड़ा हो गया था.

वैसे ही मुझे अपने ऊपर लिटाए हुए उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया और नीचे से धक्के लगाने लगा.

बहुत देर तक ऐसे ही चोदने के बाद उसने मुझे घुटनों पर आने के लिए कहा और मैं अपने घुटनों पर होकर घोड़ी बन गई.

उसने मेरे पीछे आकर मेरी चूत में अपना पूरा लंड डाल दिया.

उस पोजिशन में मेरी चूत और भी टाइट लग रही थी.

उसने दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिए और उसके धक्के लगाने से मेरे चूतड़ से फट फट की जोरदार आवाज आने लगी.

सारा कमरा हमारी चुदाई की आवाज से गूंज उठा.

मैं झुकी हुई चुदाई करवा रही थी और उस पोजीशन में मेरे दोनों दूध नीचे लटक रहे थे.

उसने अपने दोनों हाथ आगे करते हुए मेरे दोनों मम्मों को अपने हाथों में भर लिए और जोर से दबाते हुए मेरी जोरदार चुदाई करने लगा.

123

उसके बाद उसने मुझे अपनी गोद में लेकर मेरी चुदाई की.

उस बार हमारी चुदाई करीब आधा घंटा तक चली.

फिर हम दोनों ही झड़ कर बिस्तर पर लेट गए.

इसी तरह शाम के 4 बजे तक उसने मुझे 4 बार चोदा और स्कूल के बंद होने के समय के साथ ही मैं वहां से निकलकर घर आ गई.

मैं अपनी पहली चुदाई से इतना थक चुकी थी कि घर आकर मैंने खाना खाया और चुपचाप सो गई.

अगली सुबह जब मेरी नींद खुली तो मेरी चूत में काफी दर्द था.

मुझे हल्का बुखार भी था.

बाथरूम में जाकर जब मैंने देखा तो चूत काफी सूजी हुई थी.

उस दिन मैं स्कूल भी नहीं गई और सारा दिन आराम करती रही.

उसके बाद दोस्तो, हम दोनों का मिलना जारी रहा.

जब भी हम दोनों को मौका मिलता, हम चुदाई का पूरा मजा लेते.

वो मुझे गर्भनिरोधक दवा भी देता रहा, जिससे मैं हमल से न हो जाऊं.

123

मुझे चुदाई का ऐसा नशा चढ़ गया था कि अगर हम दोनों को कुछ देर का भी समय मिल जाता, जैसे नदी के पास या स्कूल जाते या आते समय तो जल्दी से नीचे से चड्डी सरका कर चुदाई कर लेते.

कुछ ही दिन में मैं चुदाई की इतनी आदी हो गई थी कि रात में घर वालों के सोने के बाद मैं अकेली ही छुपते हुए उसके खेत में चली जाती और रात भर उसके साथ रहती.

सुबह होने के पहले वापस घर आ जाती.

हम दोनों का प्यार बस चुदाई तक ही सीमित रह गया था. हम दोनों एक दूसरे से चुदाई के लिए बेताब रहते थे.

फिर जल्द ही उसने मेरी गांड भी चोद डाली.

शायद ही ऐसा कोई आसन बचा होगा, जिसमें हम लोगों ने चुदाई न की हो.

किशोर ने मुझे बताया कि उसकी बीवी चुदाई में बिल्कुल ठंडी थी और उसको चुदाई में कोई भी दिलचस्पी नहीं थी इसलिए उसे मैं ही पसंद आती थी क्योंकि मैं उसका भरपूर सहयोग करती हूँ.

मगर अभी कहानी खत्म नहीं हुई है. किशोर से चुदाई करवाने की मुझे इतनी बुरी लत लग गई थी कि उसके कारण ही मेरे साथ एक बार ऐसी घटना घट गई कि मुझे दूसरे लोगों से भी चुदना पड़ गया.

वो मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगी.

123

कैसे मेरी जिंदगी में वो घटना घटी कि मुझे एक साथ तीन लोगों ने मिलकर चोदा … और उसके बाद जब तक मेरी शादी नहीं हुई, तब तक मैं लगभग रोज किसी न किसी से चुदती ही रही.


My Telegram Link for more story and Hot Pic:- https://t.me/adulthindistory

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जवान भतीजी को रात में राजी किया Jawan Bhatiji Ko Raat Bhar Kiya

नौकरी की तलाश में चूत गांड चुद गई Finding My Frist Job Experience