अहंकार EGO
अहंकार EGO
Desi Story |
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जब आप 30-32 साल की उम्र में, अपनी जवानी के चरम पर होते हो,
जहां हवस अपने पूरे शबाब पर होती है।
जहाँ लण्ड का कड़कपन पत्थर के समान होता है
और चुदाई की गति फ़ास्ट और गाँड फाड़ देने वाली होती है।
उसी दौर में, जब अधिकतर Top 15-20 मिनिट्स में ठंडे पड़ जाते,
मेरा लण्ड, एक से डेढ़ घंटे तक बॉटम से लण्ड चुसाई के मजे लेता और फिर बॉटम की गाँड फाड़कर उसे भरपूर मजा देता।
मेरा लण्ड, 6 इंच का है और सामान्य से थोड़ा सा मोटा है।
कोई बहुत बड़ा या बहुत मोटा नही है । पर हर किसी में एक विशेष गुण होता है,
जो उसे दुसरो से खास बनाता है।
बस मेरे लण्ड का गुण था stamina..
कम से कम एक घंटे तक तो बॉटम्स की गाँड में रहकर उसे जन्नत का सुख तो देता ही था। कभी-कभी डेढ़ और दो घंटे तक भी, ये समय बढ़ जाता था।
जवानी, मज़े से कट रही थी।
किसी से मिलना होता तो, FB पर पोस्ट करता और उसमें विशेषकर लिखता - '6 inches tool with minimum 1hour stamina'.
और इस 6 इंच के लण्ड पर बैठकर कोई चुदवाता और एक घंटे तक चुदवाकर, जब पूर्ण संतुष्ट होता तो उसके मुंह से जो तारीफ के बोल निकलते, वो कितने खतरनाक हो सकते है, ये बाद में पता चला।
लगातार तारीफ, किसी का भी दिमाग खराब कर सकती है और यंही से अहंकार की शुरुआत होती है।
अहंकार, किसी को भी हो सकता है। चाहे वो अनपढ़ हो या पढ़ा-लिखा।
कब मैं इस अहंकार के वश में आगया, मुझे पता ही नही चला।
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door खुला, सामने एक 29-30 साल का बाँदा था,
सांवला रंग,
दिखने में ठीक-ठाक
गठीला बदन
दिखने में सामान्य सा बंदा, अपने गठीले जिस्म के कारण इतना sexy लग रहा था कि लण्ड खड़ा होने लगा। ऊपर से उसने सिर्फ शार्ट ही पहनी थी। जिसके कारण मेरा लण्ड फड़फड़ाने लग गया।
मुझे उन लोगों से सख्त शिकायत है, जो lookwise average या below average है। अरे वो तो भगवान ने आपको वैसा बनाया है। पर आप अपने आप को नज़रंदाज़ कर और भी नाइंसाफी कर देते हो और फिर जब कोई सेक्स पार्टनर नही मिलता तो frustrate होते हो।
अरे नीग्रो काले होते, दिखने में भी इतने सुंदर नही होते। पर वो मेहनत कर के अपने जिस्म को सेक्सी बना लेते है तो आप लोग क्यो मेहनत नही करते।
सैम दिखने में सांवला और average था, पर उसने अपनी बॉडी को ऐसा मैंटेन्ट किया कि उसे देख कर लण्ड हिलोरे खा रहा था।
'सुहास?'
'yes...... सैम?'
'yes, अंदर आओ'
दरअसल, मैं मेरे face का pic किसी से share नही करता। तो ये हमारी blind date थी। पर grinder पर हमने हमारी बॉडी की pics शेयर की थी। सैम ने उसकी गाँड और मैंने मेरे लण्ड की pics भी share की थी। उसके बाद ही, हमने मिलने का प्लान बनाया था।
मैं अंदर गया। सैम ने door बंद किया।
'So, अब बो......'
मैं आगे कुछ बोलता उसके पहले ही, सैम ने मुझे उसके गले लगा कर मेरे होंठो से उसके होंठ मिला दिए।
एक जवान मर्द का नंगा जिस्म मेरी बाँहो में क्या आया, मेरा लण्ड तो पागल हो गया। हवस का जूनून सिर चढ़ रहा था।
सैम को मेरी बाँहो में जकड़, उसके दोनो होंठो को इतनी जोर से चुसने लगा कि उसकी आहे निकलने लगी।
ममममम.... ममममममम कर के वो भी मेरे होंठो को जोर जोर से चूस रहा था।
मैंने मेरी जीभ को, उसके दोनो होंठो के बीच से, उसके मुंह मे डाल दी और मेरी जीभ को उसके मुंह मे डाल कर, इधर-उधर करने लगा।
सैम ने मेरी टीशर्ट निकाल दी।
ओह, दो मर्दो के नँगे बदन क्या चिपके, हवस की लपटें, जैसे जिस्म जलाने लगी।
दोनो अधनंगे मर्द, हवस के सुरूर में थे। ज्यादा समय नही लगा पूरा नँगे होने में। सैम मेरे पैरो के वहां बैठा और उसने मेरे तनतनाये लण्ड को मुँह में ले लिया।
उफ़्फ़फ़....
मैं पूरी तरह से अंदर आया भी नही था कि, इस जवान मर्द ने मुझे दरवाज़े के पास ही नंगा कर दिया और मेरा लण्ड चुसने लगा।
मैं भी वहीं खड़े-खड़े मदहोशी के सागर में गोते खा रहा था। लण्ड चुसाई की feeling इतनी, हवस भरी और जानलेवा होती है कि,
जो लण्ड चुसवाता है वही इस सुख को अनुभव कर सकता है।
15-20 मिनिट तक सैम ने ऐसा लण्ड चुसा की, मेरे जिस्म में आग लगने लगी थी। आखिर वो उठा और मुझे bed room में ले गया और मुझे bed पर लेटा कर, मेरे नँगे जिस्म पर चढ़ गया और मुझे चूमने लगा।
मेरे होंठो,
गालो, गर्दन, निप्पल्स को चूसते हुए वो फिर नीचे सरका और मेरे लण्ड को मुंह मे ले लिया।
10 मिनिट की चुसाई से लण्ड, फड़फड़ाने लगा तो, सैम ने उसपर कंडोम चढ़ाया और मेरे लण्ड पर बैठ गया।
हवस का ऐसा तूफान आया कि, सैम को चौदते हुए, डेढ़ घंटा हो गया। हम दोनो के जिस्म थकने लगे थे। पर सैम की गाँड और मेरे लण्ड अभी भी भूखे थे।
सैम की गाँड अभी भी चुदवाने को मचल रही थी, और मेरा लण्ड भी चौदने को फड़फड़ा रहा था। एकदम टक्कर का बंदा मिला था। इतनी देर में तो दूसरे बॉटम्स 3-4 बार ढीले पड़ जाते। पर सैम और मैंरे लण्ड अभी तक फटे नही थे।
सैम की गाँड और मेरे लण्ड में चुद्दम-चुदाई की जुगलबंदी चल रही थी।
मैं जितना आगे बढ़-बढ़ के झटके मारता, सैम उतनी ही तेजी से पीछे होकर मुझसे चुदवाता।
आखित इस जुगलबंदी का क्लाइमैक्स आ ही गया और दोनो के लण्ड फट पड़े।
दो घंटे बाद, जिस्म के साथ, लण्ड और आत्मा भी ठंडे पड़ गए थे और मै बेसुध हो कर बेड पर पड़ गया और मेरे नँगे बदन पर सैम बेसुध हो गया।
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'जो डेढ़ से 2 घंटे चुदवाने और लण्ड चुसने का दम रखता हो वही मिले। जिसे 6 इंच के लण्ड से, उसकी गाँड में धमाल मचवानी हो वही मिले। लण्ड चुसने से जिनका मुंह दुखता है और चुदवाने से जिनकी गाँड दर्द करती हो , वो न मिले'
मेरी पहले की FB पोस्ट में निवेदन होता था, पर अब अहंकार और चुनोती ने उस निवेदन की जगह ले ली।
मन मे अहंकार, कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वास बड़ा देता है और ये अति आत्म विश्वास बहुत खतनाक होता है।
अपने मद में चूर मैं लोगो का अपमान करने लगा था।
कोई जल्दी झड़ जाता या ,
मेरा लण्ड चूसते हुए उसका मुंह दुखता,
या उसे चौदते समय वो गाँड में दर्द की गुहार लगाता
तो मैं उन पर बरस पड़ता।
अपने इसी घमंड में चूर मैं, वैभव से मिला।
वैभव 30 साल का मर्द था। अभी तक वो जिनसे भी मिला as a Top मिला था। जब मेरी पोस्ट देखी तो वो मेरे से चुदवाना चाहता था और मेरे साथ as a bottom play करना चाहता था। मैंने अपने घमण्ड में चूर उसे बताया कि
आधे-पौन घंटे चूसना पड़ेगा और उसके बाद आधे-पौन घंटे fuck करूँगा।
वो तैयार हो गया।
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दोनो के नँगे जिस्म एक हो चुके थे। वैभव निहायत handsome था। उसे देखकर ही मेरा लण्ड फड़फड़ाने लगा। दोनो एक दूसरे के नँगे जिस्म से खेल रहे थे और बेतहाशा एक दूसरे को चूम रहे थे।
हमारे नँगे जिस्म मुंह से लण्ड और पैर तक बिल्कुल चिपके हुए थे, जैसे एक दूसरे के जिस्म को अपने जिस्म में समा लेंगे।
एक दूसरे को बाँहो में कसे, बिस्तर पर लौट लगा रहे थे। कभी वो मेरे ऊपर होता तो कभी मैं उसके ऊपर।
और थोड़ी देर बाद, उसने बाँहो की पकड़ ढीली की और नीचे सरक कर मेरे नँगे जिस्म को चूमते और चाटते हुए, मेरे लण्ड के पास पहुंचा और मेरे लण्ड को मुंह मे ले लिया।
आआआह.....
एक औरत और एक मर्द द्वारा लण्ड चुसने में जो अंतर होता है। उतना ही अंतर एक बॉटम और एक टॉप द्वारा लण्ड चुसने में होता है।
खासकर जब एक टॉप पहली बार लण्ड चूस रहा हो। उसके अंदर की जितनी बेताबी और कसक होती है लण्ड चुसने की, वो सब निकाल देता है, लण्ड चुसाई में।
मेरा लण्ड बुरी तरह फड़फड़ा रहा था, मुझसे सहन नही हुआ तो वैभव को बिस्तर पर उल्टा लेटा कर, मेरे लण्ड पर तुरंत कंडोम चढ़ाया और मेरे लण्ड को उसकी गाँड में डाल दिया।
दूसरों को चौदकर गाँड में दर्द देने वाला आज खुद गाँड के दर्द को महसूस कर रहा था, पर ये दर्द थोड़ी देर में मज़ा बन गई और वो मज़े लेकर चुदने लगा।
अभी 5 - 10 मिनिट भी नही हुए थे कि मेरे लण्ड की फड़फड़ाहट में नरमाई आ गई और मेरा लण्ड वैभव की गाँड से बाहर आ गया।
मैं सकपका गया।
'क्या हुआ?'
'अरे लण्ड लटक गया'
'अरे इतनी जल्दी झड़ गए, वो डेढ़-दो घंटो का क्या हुआ?'
मुझे उसकी बात बुरी तरह चुभ गई थी, पर मैं कुछ नही कर सकता था।
'अरे discharge नही हुआ, पर लण्ड खड़ा नही हो रहा'
'ohk, don't worry कभी कभी होता है'
वैभव ने लण्ड से कंडोम निकाला और मेरे लण्ड को फिर मुंह मे ले लिया। 2 मिनिट की चुसाई से लण्ड फिर फड़फड़ा उठा।
लण्ड पर कंडोम चढ़ाया और मैं बिस्तर पर सीधे लेट गया और वैभव को लण्ड पर बैठा दिया। वैभव उचक उचक के चुदवा रहा था। कुछ देर बाद फिर से मेरे लण्ड में नरमाई आ गई और लण्ड लटक गया।
'अब क्या हुआ, ऐसे डेढ़ घंटे तक चौदो गे क्या?'
इस बार वैभव ने झुंझलाकर बोला। मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर, मैं कुछ नही बोल पाया। मेरे बड़बोले पन ने मेरे मुंह पर ताला लगा दिया।
खैर वैभव ने मेरे लण्ड को मुंह मे लिया और चुसने लगा।
ये सुख अनुपम है। लण्ड चुसाई का मज़ा एक दम जान लेवा होता है।
मेरा लण्ड फिर फड़फड़ा गया।
फिर से लण्ड पर कंडोम चढ़ा।
फिर से वैभव के गाँड की चुदाई शुरू की।
मेरा confidence loose हो रहा था। मुझे लगा कि कंही फिर से मेरा लण्ड ढीला न पड़ जाए। यहिं सोचकर मेरी fantasy, जॉन अब्राहिम के कामुक विचारों में खो गया कि एक होटल के आलीशान रूम में , मैं जॉन को doggy बनाकर चौद रहा हूँ।
क्या दिन आ गए थे। वैभव जैसा निहायत हैंडसम मर्द मेरे सामने नंगा, मुझसे चुदवा रहा था और मैं किसी और को imagin कर वैभव को चौद रहा था। जबकि वैभव जैसे मर्द मुझे जब भी मिले, मैंने उन्हें पूरी रात सोने नही दिया और आज परिस्थिति कुछ और ही थी।
जॉन के खयालो से मेरा लिंग फड़फड़ाने लगा और वैभव की गाँड फटने लगी। साला मुझे बेइज्जत कर रहा था और ये सोचकर उसे जोर जोर से, मेरे लण्ड को पूरा उसकी गाँड में डालते हुए चौदने लगा।
वैभव की आहे निकल रही थी और वो चुदाई के मजे लेने लगा। तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी।
ये तो अविश्वसनीय था, मैंने कभी ऐसा सोच ही नही था। वैभव का frustration मेरे ऊपर निकल गया।
नाम बड़े, दर्शन छोटे,
बडबोला,
मुँह मिया मिट्ठू बनना
उसने हिंदी व्याकरण की book खोल ली थी। मुझे बहुत अपमानित जैसा लग रहा था।
मैंने कपड़े पहने और चुपचाप वहाँ से चला गया।
3 दिन तक किसी से नही मिला। यहाँ तक कि बीवी से भी दूर ही रह। कुछदिन पहले तक जो बंदा अति आत्मविश्वास के आकाश में उड़ रहा था। वो अब पाताल में धस चुका था। ईश्वर की लीला बहुत निराली होती है। पल में धूप, पल में छांव।
पर इस तरह तो जिंदगी नही गुजर सकती न। पूरा जोर लगा कर इतना confidence तो जुगाड़ लिया कि, कम से कम बीवी के साथ तो करू।
जब इंसान सब जगह से उम्मीद हार जाता है, तब घरवाले ही काम आते है। आखिर बीवी के साथ किया।
उतना ही मजा,
उतनी ही संतुष्टि,
उतना ही time
जितना पहले था।
मन को अच्छा लगा। थोड़ा डर कम हुआ, पर अभी बाहर मुँह मारने की हिम्मत नही हुई। बीवी के साथ ही 4-5 बार किया। अब पूरी तरह तसल्ली हो गई थी।
मुझे कभी समझ नही आया, उसदिन ऐसा क्यों हुआ? शायद, मैं अपने घमंड के आसमान पर उड़ रहा था। मुझे ज़मीन पर लाने के लिए भगवान ने लीला रची थी।
खैर, रंग-रैलियों का सिलसिला फिर शुरू हुआ,
फिर उतना ही मज़ा,
फिर से उतनी ही देर लण्ड चुसवाना और चौदना
उतना ही टाइम,
पर अब मैरे पैर और मैं, ज़मीन पर थे। लोगो की इज़्ज़त करना सीख गया था।
और सबसे मजेदार बात, एक ग्रुप में वैभव भी मिला, उससे कोई नाराजगी तो नही थी, पर उस दिन उसे लपक के चौदा, फिर बाद में उससे फिर अकेले में भी मिला और उसे पूर्ण संतुष्ट किया।
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