चंदू की चाची को चटनी Chatai
चंदू की चाची को चटनी Chatai
Desi Story |
मैं दोस्त के घर शादी में गया था. वहां उसकी चाची से मुलाकात हुई. मैंने उस पर डोरे डालने चाहे तो वह नखरे करने लगी.
दोस्तो, मैं आपका दोस्त राजू
मेरे दोस्त के गांव में उसकी बहन की शादी थी.
उस शादी के लिए उसने मुझसे कहा कि तुझे शादी में चलना होगा.मैं भी मान गया.
बारिश का दिन था. हम ट्रेन से गांव के चल दिए.
शादी वाला घर था, तो मेहमानों का आना लगा था.
घर बहुत बड़ा था सबको रुकने के लिए अलग अलग कमरे दिए गए थे.
ऐसे ही एक नया जोड़ा उस घर में दाखिल हुआ.
उस जोड़े को देख कर मैंने मेरे दोस्त से पूछा- ये कौन है?
मेरा दोस्त बोला- ये मेरे दूर के चाचा चाची हैं. इनकी शादी पिछले साल हुई थी.
मैं उसकी नई शादीशुदा चाची को देखता रहा.
उसकी चाची बड़ी हॉट माल थी. क्या टाईट चूचे थे … उस पर से नजर ही नहीं हट रही थी.
मैं उसके चूचों को घूरे जा रहा था.
उस कातिल फिगर को मैं बड़ी ही वासना से निहार रहा था.
मेरा मन सेक्सी चाची के साथ सेक्स का मजा लेने का बन गया.
ये बात उससे भी छुपी नहीं रही.
उसने भी मुझे देखा, फिर गुस्से से आंखें बड़ी कर लीं.
पर मैं कहां मानने वाला था.
मैं मुस्कुरा दिया.
वह गुस्से से भरा चेहरा लिए अपने कमरे में चली गयी.
मेरे दिल में वह घर बना गयी थी.
मैं उस खूबसूरत हुस्न के दीदार को तरस गया.
मैंने अपने दोस्त से कहा- तू अपने चाचा चाची से मेरी जान पहचान करा दे, मैं बोर हो रहा हूँ.
वह मुझे उनके कमरे में ले गया.
वहां चाचा चाची को उसने प्रणाम किया.
मैंने भी नमस्ते कहा.
चाचा ने मेरे प्रणाम का जवाब दिया पर चाची ने मुँह बना लिया जैसे कि मैं कोई लुच्चा टाईप का लड़का हूँ.
पर मैं हंस दिया.
फिर मेरे दोस्त ने मेरा परिचय दिया- चाचा, ये मेरा खास दोस्त राजू है … और ये मेरे प्रकाश चाचा हैं और ये मेरी प्यारी पुष्पा चाची हैं. मैं तुझसे पिछली बार इनकी ही शादी के लिए चलने को कह रहा था, पर तू नहीं आया था.
मैं बोला- हां यार, सॉरी चाचा … मैं माफी मांगता हूँ कि आपकी शादी में मैं नहीं आ पाया.
चाचा जी बोले- अरे कोई बात नहीं. माफी की जरूरत नहीं. पर आते तो मजा आ जाता.
मैंने चाची की तरफ देख बोला- हां मजा तो जरूर आता.
ऐसी कुछ बातों के बाद मैं चाचा से बोला- आप बहुत लकी हो चाचा, चाची बहुत खूबसूरत हैं … और आपकी जोड़ी लाजवाब है. हर किसी का नसीब आप जैसा नहीं होता.
चाचा हंस दिए और धन्यवाद दिया.
पर यह सब मैंने चाची को बहलाने के लिए बोला था.
अपनी खूबसूरती की बात सुनकर चाची के चेहरे पर मुस्कान आ गई पर उन्होंने अपना चेहरा घुमा लिया.
फिर हम दोनों बाहर आ गए.
मेरा दोस्त अपने काम में व्यस्त हो गया.
मैं चाची की लेने की फिराक में था.
तभी चाचा बाहर आए और घर के बाहर जो पुरुष मंडली बैठी थी, उसमें शामिल हो गए.
मैं चाची के रूम में घुस गया और चाची से बोला- चाची, आप मुझसे कुछ नाराज हैं क्या?
चाची बोली- मैं आपको जानती ही नहीं … तो नाराज कैसे हो सकती हूँ!
मैं बोला- अभी तो हमारी जान पहचान हुई थी
तो वह बोली- मैं किसी से जल्दी घुल-मिल नहीं पाती … और तुम जैसे लड़कों से तो 2 गज की दूरी बना कर रखती हूँ.
मैं बोला- मेरे जैसे से आपका क्या मतलब … मैं कोई सड़क छाप लड़का नहीं हूँ. मैं एक कारखाना, एक दुकान और 20 एकड़ जमीन का अकेला मलिक हूँ. हमारी हवेली इससे दुगनी है.
मैंने इसी तरह की 2-4 बातें फेंक दीं.
उसके चेहरे पर चमक आ गयी.
‘पर फिर भी मुझे तुमसे बात करने में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है.’
मैं बोला- पर मैं छोड़ने वाला नहीं दिलचस्पी आपके दिल में लाकर ही रहूँगा.
यह बोल कर मैं बाहर चला आया.
कुछ देर बाद मुझे पुष्पा तीसरी मंजिल की ओर जाती हुई दिखी.
ज्यादातर वहां कोई जाता नहीं था, कुछ सामान लाने ही कोई जाता था.
मुझे ये अवसर सही लगा और मैंने मौका छोड़ा नहीं.
मैं भी उसके पीछे हो लिया.
उसी समय बारिश शुरू हो गयी थी.
सब लोग बाहर का सामान अन्दर लाने में लग गए.
उसी दौरान मैं उसके करीब पहुंचा, तब तक बारिश तेज हो चुकी थी.
वह अकेली थी.
मैंने उससे बात करने के लिए उसे आवाज दी- चाची!
उसने मुड़ कर देखा.
मुझे देख कर उसने आंखें बड़ी कर लीं और बोली- तुम यहां क्या कर रहे हो?
मैं बोला- मैं आपकी मदद के लिए आया हूँ.
वह बोली- मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत नहीं है.
मैं बोला- मुझसे खफा क्यों है … मैंने आपका क्या बिगाड़ा है. मैं तो आपकी खूबसूरती का दीवाना हो गया हूँ.
पुष्पा इस बात पर मुझ पर एकदम से भड़क गयी और बोली- मैं तुम्हारे हाथ आने वाली नहीं हूँ. मैं तुम जैसे लड़कों को अच्छी तरह से जानती हूँ. तुम जाओ यहां से … नहीं तो खींच कर चांटा मार दूँगी, तुम्हारी अक्ल ठिकाने आ जाएगी.
मेरा दिमाग अब गर्म होने लगा; मेरी भी आंखें बड़ी हो गईं.
तभी जोर से बिजली कड़की.
बिजली कड़कने की आवाज सुनते ही पुष्पा डर गयी और मुझसे आकर लिपट गयी.
मैं कुछ समझ ही नहीं पाया … पर उसका मुझसे लिपट जाना मुझे अच्छा लगा.
मैंने अभी तक उसको अपनी बांहों में नहीं लिया था.
तभी एक और बार बिजली कड़की, वह मुझसे और जोर से चिपक गयी.
मैंने पहले सब जगह नजर घुमाई, वहां कोई नहीं था.
फिर मैंने भी उस अपने आगोश में ले लिया.
तभी फिर से एक और बार बिजली कड़की तो वह मेरी पीठ में नाखून गड़ाने लगी.
मैंने उसके डर का फायदा उठाते हुए उसे अपनी बांहों में उठाया और बगल वाले रूम में ले गया.
फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस किया, उसके बालों में अपना हाथ घुमाया और उसको अपने ऊपर दबा लिया, जिस वजह से उसके चूचे मेरे सीने पर दबने लगे.
एक अनोखा सा अहसास हो रहा था. तभी और एक बार बिजली कड़की, वह और मुझमें समाती चली गयी.
अब मैंने भी उसके मांसल उभरी हुई गांड पर हाथ फेर दिया.
उसका कोई विरोध नहीं था.
मैंने पीछे से उसकी साड़ी उठा दी.
मेरी नजर में उसकी वह मखमली गांड का वह उभरा हुआ हिस्सा था.
मैंने उसको सहलाया और उसकी दरार में उंगली घुमाई.
अब तक मेरा लंड तैयार होकर उसकी जांघों में घुसने की कोशिश कर रहा था.
उसने खुद के मुँह को मेरे सीने में छुपा लिया था.
उसके बदन की खुशबू मुझे और उकसा रही थी.
मैंने अपने एक हाथ से अपनी पतलून खोल ली अंडरवियर भी उतार दी.
वह अभी भी मुझसे चिपकी थी.
बिजली बीच बीच में कड़क रही थी.
मैंने अब तक उसकी साड़ी को ऊपर कर लिया था.
उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था.
फिर मैंने उसे अपने हाथों में उठा लिया. उसने मेरी गर्दन को जोर से ऐसे पकड़ लिया, जैसे वह छोटी बच्ची हो.
अब मैंने उसकी चूत को थोड़ा सा अपने हाथों से सहला दिया, पर उसने कुछ हरकत नहीं की.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.
वह मेरे हाथों में उछली, पर शांत हो गयी.
मैं उसकी चूत को हाथों से हो चोदने लगा.
जल्द ही वह भी गीली होने लगी.
उसकी चूत भी गर्म हो गयी थी, उसका रस मेरे उंगलियों में चिपकने लगा.
मैं अभी भी उसकी चूत को उंगली से चोदे जा रहा था और उसके गले पर किस किए जा रहा था.
मैंने अपनी जुबान से उसके कान से लेकर गले तक के हिस्से को गीला कर दिया था.
उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर आने लगी थीं.
मैंने उसके गले की नस को अपने होंठों से चूमा, जुबान से चाटा.
फिर अपने दांतों से उसकी नस को काटने लगा.
मेरे इस प्रहार से वह और ज्यादा गर्म हो गयी.
मैंने अब देर करना उचित नहीं समझा और अपने लंड को खड़े खड़े ही उसकी चूत पर सैट कर दिया.
यह आसन ऐसा था कि वह मेरे हाथों में झूल रही थी, उसके पैर हवा में थे.
मेरा लंड उसकी चूत के द्वार पर रगड़ खा रहा था.
वह मुझसे लिपटी पड़ी थी.
अब मैं उसको आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड पर बैठाने लगा.
लंड भी आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत के अन्दर जाने लगा.
उसकी चूत काफी गीली थी पर चूत का मुँह ज्यादा खुला नहीं था, चाची की चूत कसी हुई थी.
मेरा आधा लंड घुस चुका था पर वह उससे ज्यादा लंड अन्दर नहीं ले पा रही थी.
जैसे ही लंड घुसता, वह ऊपर को हो जाती
ऐसा 4 से 5 बार हुआ.
फिर मैंने उसकी जांघों को कसके पकड़ा और पूरी ताकत से उसे अपने लंड पर दबा दिया.
उसी वक्त मैंने भी नीचे से लंड को ऊपर उसकी चूत में घुसा दिया.
दोहरे वार के कारण मेरा लंड एक ही झटके में उसकी चूत की गहराई नाप चुका था.
यह धक्का इतना जबरदस्त था कि उसके आंसू निकल आए.
उसने मेरा गला और कसके दबा लिया, मेरी गर्दन में उसने अपने दांत गड़ा दिए पर मुँह से एक शब्द नहीं निकाला.
मैं अब हवा में ही उसको उछाल रहा था और धकापेल चोदने लगा था.
हम्म हम्म करके वह भी साथ दे रही थी.
झटकों के कारण उसके मुँह से बस हम्म हम्म निकल रहा था.
मैं उसे उठा उठा कर बार बार अपने लंड पर बिठा रहा था.
जल्द ही चूत के रस के कारण फच फच की आवाज गूंजने लगी थी.
बाहर बारिश ने जोर पकड़ लिया था.
अब वह भी लय में मेरा साथ दे रही थी.
तभी एक बार और बिजली जोर से कड़की, वह फिर डर गयी.
इस डर से उसकी चूत भी कस गयी.
उसने फिर से मुझे कसके गले लगाया और अपने दोनों पैरों को मेरी कमर को लपेट लिया.
उसको चोदते हुए अब दस मिनट हो चुके थे.
मेरा हाथ भी अब दुखने लगा था.
मैंने यहां वहां नजर घुमाई तो एक बेड दिखा … उस पर थोड़ा सा सामान पड़ा था.
मैं पुष्पा को उठाये हुए उस बेड तक आ गया.
उसकी गांड को उस पलंग के किनारे पर टिकाया और हाथ फ्री होते ही सामान को नीचे गिरा दिया.
मैंने उसको लिटा दिया.
जैसे ही मैंने उसे लिटाया, उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया.
मैं अब उसकी जांघों के बीच में खड़ा था. लंड अभी भी चूत के अन्दर घुसा हुआ था.
मैंने उसे फिर से चोदना चालू कर दिया.
अब मैंने उसकी चोली के हुक खोल दिए, उसकी ब्रा को भी खोल दिया और उसके चूचों को आजाद कर दिया.
फिर मैंने उसके एक निप्पल को मुँह में भर लिया और एक चूचे को अपने हाथ से दबाने लगा.
एक के बाद दूसरे चूचे को मुँह में भरके चूसने लगा.
उसके निप्पलों को खींच खींच कर चूसने लगा.
उसने अपना मुँह अभी भी ढका हुआ था.
अब मुझे मस्ती सूझी और मैंने अपनी एक उंगली से उसकी गांड के छेद को कुरेदना चालू कर दिया.
उसी उंगली को उसकी गांड के छेद में घुसा दिया.
वह उछल पड़ी और जोर जोर से गांड को हिलाने लगी ताकि उंगली निकल जाए.
पर मैंने उस उंगली को और अन्दर ठेल दिया.
अब मेरी पूरी उंगली गांड में घुस गयी थी.
मेरी उंगली को मेरे लंड का अहसास हो गया था.
अब उसकी चूत में लंड और गांड में उंगली चलने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उंगली निकाल ली और उसके पैरों को ऊपर उठा लिया.
उसके पैर अपने गले में लेकर मैं उसे चोदने लगा.
हमारी चुदाई को बीस मिनट हो चुके थे.
इस बार वह ऐंठने लगी, अकड़ गयी और आह की आवाज के साथ झड़ने लगी.
उसकी चूत के गर्म पानी से मेरा भी लंड निकलने को हो गया था.
ताबड़तोड़ झटकों के बाद मैं भी झड़ने लगा.
सेक्सी चाची के साथ सेक्स का मजा पूरा ले लिया मैंने!
पर बारिश अभी भी चल रही थी; बादल अभी भी गरज रहे थे.
मैं उसके कान के पास मुँह ले जाकर बोला- पुष्पा, तेरा फिगर कयामत है. मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ, जो हूर जैसी औरत नहीं … लड़की को आज मैंने चोद लिया है.
वह सुन रही थी पर कुछ नहीं बोली.
मेरा लंड अभी भी उसकी चूत के अन्दर ही था.
मैंने भी जानबूझ कर बाहर नहीं निकाला.
करीब 10 मिनट तक हम दोनों ऐसे ही रहे.
कुछ पल बाद फिर से मेरे लंड ने अन्दर ही हलचल शुरू की.
वह अन्दर ही कड़क हो गया.
मैंने फिर से धक्के लागने चालू किए.
तभी पुष्पा ने अपना हाथ हटाया और मुझे गुस्से से देखने लगी.
पर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा.
पुष्पा अपनी गर्दन यहां वहां पटकने लगी ताकि मैं किस ना ले सकूं.
पर मैंने भी अपने हाथों से उसका सर पकड़ लिया और किस करने लगा.
अब उसका जोर ठंडा हो गया था क्योंकि चूत के अन्दर लंड घुस निकल रहा था.
चूत फिर से चार्ज हो गई थी.
हम दोनों का वीर्य उसकी गांड से होकर बेड पर गिर रहा था.
उसकी सनी हुई चूत में मैं उसे धकापेल चोद रहा था.
मेरे लंड को हद से ज्यादा गीलापन महसूस हो रहा था.
पर मैं रुका नहीं.
बीस मिनट बाद मैंने लंड को बाहर निकाला और पुष्पा की गांड के छेद पर सैट कर दिया.
मैंने पुष्पा की तरफ देखा तो वह गुस्से से देख रही थी.
तब मैंने उसकी कमर पकड़ ली और धक्का मार दिया.
मेरा लंड फिसल गया.
पुष्पा हंस दी.
मैंने अपनी आंखें बड़ी की, फिर लंड को सैट किया और दबाव बना कर आहिस्ता आहिस्ता लंड को गांड में घुसाने लगा.
थोड़ा थोड़ा करके पुष्पा की गांड मेरा पूरा लंड निगल गयी.
मैंने उसकी ओर सवालिया नजर से देखा तो वह शर्मा गई और अपने हाथों से अपना मुँह ढक लिया.
मैं उसकी गांड चोदने लगा.
कुछ मिनट तक गांड चोदने के बाद मैं उसी की गांड में झड़ने लगा.
कुछ देर तक मैं वैसे ही अपने लंड को उसकी गांड में फंसाए लेटा रहा.
फिर मेरा लंड मुरझा कर बाहर आ गया.
उसके बाद उसकी गांड से मेरा वीर्य बहने लगा.
मैं उसके ऊपर पड़ा रहा.
कुछ देर बाद हम दोनों नॉर्मल हो गए.
मैं उठा और अपने कपड़े पहनने लगा.
मैंने एक नजर उसके ऊपर घुमाई, वह बेड पर अस्त व्यस्त पड़ी थी.
चोली खुली थी और ब्रा ऊपर गले में अटकी थी. चूचे खुले पड़े थे … लाल हो गए थे. साड़ी भी ऊपर उठी थी.
चूत और गांड के छेद से मेरा रस बह रहा था.
मैंने उससे चिपक कर किस किया और बोला- पुष्पा, आज तुझ पर मेरा ठप्पा लग गया है. आज से पुष्पा विशू की हुयी.
वह हंसी और मैं बाहर निकल गया.
कुछ देर बाद पुष्पा भी बाहर आ गयी.
उसको देख कर कोई भी समझ जाता कि उसकी ठुकाई हुई है.
वह सीधे अपने कमरे में चली गयी.कुछ देर बाद वह सज संवर कर बाहर आई.मैं वहां 5 दिन तक रहा था.उसको रोज चोदता था.
कमीनी नकचड़ी थी, खुल कर चुदी भी … पर साली मुझसे कुछ नहीं बोली. एक लफ़्ज़ भी नहीं बोली, बस आंखों से इशारों में बोलती.कसम से पुष्पा एक हूर थी.
वह उसके बाद नहीं मिली; ना ही उसने अपना नंबर दिया.बस चुद कर चली गई।
सेक्सी चाची के साथ सेक्स का मजा मुझे तो बहुत आया, आप भी बताएं कि आपको कितना मजा आया.
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