मैडम की चूत में लन्ड, गांड में उंगली The Best Boss Desi Story
मैडम की चूत में लन्ड, गांड में उंगली - The Best Boss
Desi Story |
मेरा नाम रौनक है और मेरी उम्र 28 साल है. मैं अविवाहित हूँ और पुणे की एक कम्पनी में ट्रेनर हूँ. अन्तर्वासना पर आज पहली बार लिख रहा हूँ. मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है. भगवान भी कभी ना कभी तो आशीर्वाद कर ही देता है.. जो मेरे साथ हुआ.
उम्मीद करता हूँ कि मेरी कहानी आपको बहुत पसंद आएगी. यह कहानी आज से 4 साल पहले की बात है.
जब मैं कॉलेज में पढ़ाया करता था, नया-नया शौक आया था, उसी साल मेरे जैसी ही एक लड़की ने भी पढ़ाना शुरू किया.
लोगों ने बताया कि उसका भी यह पहला साल है पढ़ाने का! मुझे लगा कि चलो कोई तो कंपनी मिली. इन बड़े लोगों में कोई तो मेरा जैसा है.
टीचर्स की कंपल्सरी मीटिंग में जान-पहचान भी हो गई.. उसका नाम प्रिया है. मैं विज्ञान विभाग में टीचर था और वो कला विभाग में थी.
वो देखने में बहुत खूबसूरत थी.. जिसे देख कर अच्छे-अच्छों का भी दिमाग़ डोल जाए, ऊपर वाले ने उसको बड़ी फ़ुर्सत से बनाया था. देख कर दिल कहता कि बांहों में लेकर झूम उठूँ.
कॉलेज छूट जाने के बाद मैं घर में अकेला बोर हो जाता.. तो मैं अपनी लाइफ को पूरी तरह से एन्जॉय नहीं कर पाता था. मुझे होटल में खाना पीना घूमना.. थियेटर में मूवी देखना बहुत पसंद है. कभी-कभी तो ऑनलाइन गरमागरम फ़िल्में भी देखता हूँ.
एक बार कॉलेज में ट्रिप जाने का प्रोग्राम बना और मुझे ट्रिप का लीडर बना दिया. पर ट्रिप में लड़कियाँ होने की वजह से मैंने ‘ना’ करना चाहा तो प्रिन्सिपल ने कहा- उनकी चिंता आप मत कीजिए प्रिया मैडम भी जा रही हैं.
तो मैंने झट से ‘हाँ’ बोल दिया.
ट्रिप की मीटिंग में प्रिया से पहली बार बात हुई. फिर हमने पूरा प्लान फिक्स किया. कॉलेज का ट्रिप शुरू हुआ. वहाँ से हमारी जो बात शुरू हुईं.. वो पूरी ट्रिप में चलती रहीं. हम दोनों करीब आते गए. इसकी वजह से हमारे साथ आए हुए विद्यार्थियों ने भी खूब मजा लिया.
ट्रिप के दस दिन कैसे निकल गए.. कुछ पता ही नहीं चला. ट्रिप से आने के बाद हम दोनों फोन पर लगातार बातें करने लगे.
जैसे-जैसे टाइम बीता.. बातों ने भी रास्ता बदल दिया और गरमागरम बातें होने लगीं. पुणे में उस टाइम भी मैं अकेले रूम लेकर रहता था और वही हाल आज भी है. उसको एक शाम मैंने मेरे रूम पर बुलाया.. पर उसने मना कर दिया. फिर हमने पार्क में मिलने का सोचा और वहीं मिलना तय हुआ.
उस शाम को वो जीन्स और लाल शर्ट पहन कर मुझसे मिलने पार्क में आई. कुछ इधर-उधर की बात हुई.. दोनों ने एक-दूसरे को पहली बार छुआ और हाथ पकड़कर चलने लगे.
अगली बार मिलने का वादा करके वो अपने घर चली गई.
पर उसको मिलने के बाद से मेरे लण्ड में खुजली शुरू हो गई.
फोन पर ये बात मैंने उसको कहा.. तो प्रिया ने भी वैसा ही जवाब दिया.
उसके बाद से दोनों किसी लंबी मुलाकात की कोशिश करने लगे.
एक बार मैंने यूनिवर्सिटी जाने के लिए प्रिन्सिपल से तीन दिन का वक़्त माँगा.
उसने ‘हाँ’ कर दिया.
यह देखते ही प्रिया ने फोन पर मैसेज करके सोमवार को सुबह उसके घर पर आने को कहा.
जब मैं उसके घर पहुँचा.. तो उसके घर में उसकी मम्मी के अलावा कोई नहीं था. उसने अपनी मम्मी से कहा- कॉलेज की परीक्षा के पेपर लिखने हैं.. इसलिए जब तक वो रूम से बाहर ना आए.. तब तक कोई भी डिस्टर्ब न करे.
यह भी बताया कि मैं उसके यहाँ खाना खाऊँगा. इतना कह कर वह मुझे अपने बेडरूम में ले गई.
फिर उसने एक टेबल लगाया कुछ कागज और ढेर सारी किताबें उस पर रख दीं.. जैसे लगे कि हम पेपर सैटिंग कर रहे हैं. पर हम दोनों के दिमाग़ में कुछ अलग ही चल रहा था.
टेबल लगते ही.. हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और वो मेरी बांहों में लिपटकर मेरे ऊपर ही लेट गई. मेरे दिल में उसकी मम्मी के आने की आशंका लग रही थी.
उसने मुझे विश्वास दिलाया कि मम्मी उसकी नहीं आएगीं.
कुछ देर तक वो मुझ से लिपटी रही फिर उसने मेरे लबों से अपने होंठों को जोड़ कर चूसने लगी. मेरे शरीर के एक-एक इंच को वो चूमने लगी.
शरीर में गर्मी बढ़ने लगी.. तो मैंने उसे पटक कर नीचे कर लिया और उसको प्यार से चूमने लगा.
जैसे-जैसे मैं उसके शरीर को चूमते हुए नीचे को जा रहा था.. उसकी बदन में अजीब सी हरकत होने लगी और खुद को मुझ से दूर करने लगी.
पर मैं गरम हो चुका था और नीचे मेरा लंड चड्डी के अन्दर जोश मार रहा था.
उसकी एक चूची को ब्रा से बाहर निकाल कर दबाने लगा… उसे मजा आ रहा था.
तकरीबन आधा घंटे की चुम्मा-चाटी के बाद वो थक सी गई. मैंने भी थोड़ी सांस ली.. पर उसके बदन की गर्मी मेरे से भी ज़्यादा थी.
वो मेरे ऊपर चढ़ी और अपने कुर्ता को निकाल फेंका और फिर से मुझे चूमने लगी.
तो मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए, मैं सिर्फ़ चड्डी में लेटा था और उसके बदन से चिपकता जा रहा था.
मैंने उसके कपड़े भी धीरे-धीरे करके उतार दिए, उसकी गोल-गोल चूचियाँ मेरे मुँह में पूरा फिट हो गई थीं..
उसके मुँह से सहमति हुई, ‘आह..’ भरी आवाज़ ने पागल कर दिया.
फिर हम लोगों की काम रति क्रिया की बारी थी.
मैं नीचे सरक कर उसकी चूत चाटने लगा.. तो वह सिसकारी लेकर धीरे-धीरे मस्त हो रही थी.
वह लगातार मादक ‘आहों..’ से मुझे मदहोश किए जा रही थी. फिर उसने ऊपर आके मेरा लंड पकड़ कर मुँह में डाल लिया और पूरे जोश में चूसने लगी.
वह बैठ कर मेरी जाँघ, लण्ड चाटने लगी, इधर मेरे लण्ड की हालत खराब हो रही थी.
मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और रगड़ने लगा.
वो बोली- ऐसे मत सताओ प्लीज… अन्दर डाल दो.
मैंने धीरे से एक झटका मारा लेकिन अन्दर नहीं गया.. मैंने फिर कोशिश की.. इस बार एक ज़ोर का झटका मारा और लंड का मुँह थोड़ा अन्दर चला गया.
उसने चीखने की कोशिश की.. लेकिन मैंने उसका मुँह दबा लिया था.
उसकी झिल्ली फट गई थी, खून भी आ रहा था, उसकी आँखों में आँसू आ रहे थे.
मैंने उसको थोड़ी देर चूमा तो फिर वह अपने चूतड़ हिलाने लगी.
मैंने एक और झटका मारा और आधा लंड अन्दर चला गया.
फिर मेरा अपने ऊपर कोई कण्ट्रोल नहीं रहा और उसको लेटा कर टाँगें ऊपर उठा कर लंड चूत के द्वार पर रख के जोर का झटका मारा और पूरा लंड चूत में घुस गया.
वह चिल्ला-चिल्ला कर कह रही थी- निकालो.. निकालो..
पर मैं पूरे जोश में था, मैंने लंड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया, मैं तेज-तेज लंड को चूत के अन्दर पेले जा रहा था.
उसे अभी भी काफी दर्द हो रहा था, अब मैं धीरे-धीरे शॉट लगाने लगा, अब उसका दर्द कम हो गया था. वो भी अब अपने कूल्हे चलाने लगी थी, दोनों अंतर सुख ले रहे थे.
वो भी मेरा साथ देने लगी, ‘फच.. फच..’ की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था.
‘और चोदो मेरे राजा.. मुझे चोद.. मेरी बुर को चोद.. मेरी सब फाड़ दो.. आज से मैं तुम्हारी हूँ.’
मैं उसे बुरी तरह चोद रहा था.
फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी चूत में लण्ड डाल दिया. उसकी गांड फूल की खिल रही थी.. फिर मैंने उसकी गांड में थूक लगा कर उंगली उसकी गांड में घुसा दी.
मैं उसे काफ़ी देर तक तक चोदता रहा, उसकी गांड पूरी लाल हो चुकी थी, इस बीच वो 3 बार झड़ चुकी थी, मेरा भी निकलने वाला था. मैं ज़ोर-ज़ोर से शॉट लगाने लगा और उसकी चूतड़ों झड़ने लगा.
मेरा गर्म-गर्म माल उसकी गांड के छेद में भर गया.
हम दस मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे. फिर हम उठकर बाथरूम में जा कर हमने एक-दूसरे को साफ किया.
उससे चला भी नहीं जा रहा था.
जब तक शाम की चाय का समय हुआ.. हमने एक बार और चुदाई की.
यह सिलसिला जब तक मैं उस कॉलेज में रहा.. तब तक चलता रहा, फिर उसकी शादी हो गई.
फिर मैंने एक नई गर्लफ्रेंड ढूंढ ली.. जो उसकी पक्की सहेली थी.
उसको मैंने कैसे चोदा. यह कहानी फिर कभी.
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